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फोटो नंबर-10बरसात से खेत में बिछी बाजरे की फसल। संवाद
नारनौल। मौसम के बदले रूप से फसलों को नुकसान की संभावना से किसान परेशान हैं।
इस वर्ष मई और जून माह में बारिश कम हुई थी, इससे फसल की बिजाई देरी से की गई थी। क्षेत्र में अधिकतर किसानों ने कपास और बाजरे की बुआई की थी। अब कुछ ही दिनों में फसल की कटाई शुरू हो जाएगी। पिछले एक सप्ताह से क्षेत्र में लगातार रुक-रुककर हो रही बारिश के कारण कई जगह बाजरे की फसल नीचे गिर गई है, वहीं कपास के टिंडे भी नीचे गिर गए हैं। सितंबर के अंत और अक्तूबर के मध्य तक अगर इसी तरह बारिश होती रही तो क्षेत्र में एक चौथाई से ज्यादा फसल खराब होने की संभावना है।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार फसल पकाई और फसल कटाई के समय बारिश होने पर फसल को नुकसान हो सकता है और फसल की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है। इस समय किसानों को फसल पर किसी भी कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए। बाजरे की फसल नीचे बिछने पर उसकी कटाई सबसे पहले करनी चाहिए। फसल की कटाई का कार्य किसान को मौसम विभाग के दिशा-निर्देशानुसार करना चाहिए ताकि बारिश के कारण फसल खराब होने की संभावना को कम किया जा सके।
फसल खराब होने की सूचना 72 घंटे में देना जरूरी
फसल खराब होने पर किसानों को सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा दिया जाता है। इस साल कपास की फसल के लिए 5176 रुपये और बाजरे के लिए 975 रुपये बीमा प्रीमियम निर्धारित किया गया था, वहीं पूरी फसल खराब होने पर कपास के लिए 1,03,525 रुपये और बाजरा के लिए 48,779 रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारित किए गए हैं। कितने प्रतिशत फसल को नुकसान पहुंचा है, उसी हिसाब से मुआवजा राशि निर्धारित की जाएगी। ओलावृष्टि और जलभराव व अन्य प्राकृतिक आपदा के कारण फसल खराब होती है तो किसान को 72 घंटे के अंदर सूचना देनी होगी। फसल नुकसान की सूचना किसान टोल फ्री नंबर 14447 पर कॉल करके नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में और क्रॉप इंश्योरेंस एप के माध्यम से दे सकते हैं। इसके बाद खंड कृषि अधिकारी द्वारा सर्वे किया जाता है और मुआवजे की राशि को सीधे किसान के खाते में भेजा जाता है।
किसान इस समय फसल पर कीटनाशक का छिड़काव नहीं करें। फसल की कटाई का कार्य मौसम विभाग के दिशा-निर्देशानुसार ही करें ताकि फसल को खराब होने की संभावना से बचाया जा सकें। मौसमी आपदा से फसल खराब होने पर किसान को 72 घंटे के अंदर सूचना देनी होगी ताकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकें।
डाॅ. सतीश इंदौरा, तकनीकी सहायक, कृषि कल्याण विभाग, नारनौल।
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