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Hindenburg Research on SEBI: अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने रात गहराते ही ताजा खुलासा तो कर दिया लेकिन इस बार इसने सीधा भारत के शेयर बाजार नियामक यानी सेबी की चेयरपर्सन के ऊपर वार किया है. हिंडनबर्ग ने व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाया है कि माधबी बुच और इनके पति धवल बुच की गौतम अडानी की उसी अस्पष्ट ऑफशोर एंटिटी में हिस्सेदारी रही है जिसका इस्तेमाल अडानी मनी साइफनिंग कांड में किया गया था. हालांकि यहां ये ध्यान रखना जरूरी है कि एबीपी न्यूज इन दस्तावेजों की पुष्टि नहीं करता है.
सेबी की चेयरपर्सन हैं माधबी पुरी बुच
माधबी पुरी बुच सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी की चेयरपर्सन हैं. सेबी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला चेयरपर्सन के तौर पर माधबी पुरी बुच इस पद पर नियुक्त होने वाली प्राइवेट सेक्टर की पहली शख्स भी हैं. अप्रैल 2017 तक वह सेबी के पूर्व चीफ अजय त्यागी के साथ सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम कर रही थीं जिनके रिटायरमेंट के बाद उन्होंने शेयर बाजार नियामक संस्था सेबी प्रमुख का पदभार संभाला.
अजय त्यागी के बाद बनी थीं सेबी की अध्यक्ष
माधबी पुरी बुच भारत के शेयर बाजार रेग्युलेटर सेबी की पहली महिला प्रमुख हैं. अजय त्यागी की जगह उन्होंने सेबी का कार्यभार संभाला था जिनका पांच साल का कार्यकाल खत्म हो गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने तीन साल की अवधि के लिए माधबी पुरी बुच की नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी.
NEW FROM US:
Whistleblower Documents Reveal SEBI’s Chairperson Had Stake In Obscure Offshore Entities Used In Adani Money Siphoning Scandalhttps://t.co/3ULOLxxhkU
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) August 10, 2024
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की शुरुआत अडानी खुलासे के बैकग्राउंड से
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह पर उसकी रिपोर्ट को लगभग 18 महीने हो चुके हैं, जिसमें इस बात के पुख्ता सबूत पेश किए गए थे कि ये भारतीय ग्रुप कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला कर रहा था. रिपोर्ट की शुरुआत में लिखा है कि…
बैकग्राउंड: “हमारी अडानी रिपोर्ट के 18 महीने बाद, सेबी ने अडानी की कथित अघोषित वेब ऑफ मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं में दिलचस्पी की कमी दिखाई है जो हैरान करता है.”
आगे चलकर हिंडनबर्ग ने अपनी पब्लिश्ड रिपोर्ट में बोल्ड अक्षरों में लिखा है कि “हमें इसका एहसास नहीं था कि मौजूदा सेबी चीफ और उनके पति धवल बुच के पास बिल्कुल उसी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में छिपी हुई हिस्सेदारी थी. ये ठीक वैसी ही कॉम्पलेक्स नेस्टेड संरचना में मिली थी जिसका इस्तेमाल विनोद अडानी ने किया था.”
नोट-जानकारी के लिए बता दें कि विनोद अडानी भारत के अरबपति कारोबारी और अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी के बड़े भाई हैं.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने आरोपों में कहा है कि अप्रैल 2017 से लेकर अक्टूबर 2021 के दौरान यानी 4 साल 7 महीने तक माधबी पुरी बुच सेबी की होलटाइम मेंबर थी. उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था. 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन पर नियुक्ति हुई थी. ऐसा होने से दो हफ्ते पहले ही उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति धवल बुच के नाम ट्रांसफर कर दिए.
सेबी चीफ माधबी पुरी बुच का वित्तीय सफरनामा
माधबी पुरी बुच सेबी की होलटाइम डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुकी हैं.
ये चीन के शंघाई में न्यू डेवलपमेंट बैंक की सलाहकार भी रह चुकी हैं.
उन्होंने निजी इक्विटी फर्म ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल के सिंगापुर कार्यालय के प्रमुख के रूप में भी काम किया है.
आईसीआईसीआई समूह के साथ वे लंबे समय तक जुड़ी रही हैं. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड में एमडी और सीईओ और आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड में कार्यकारी निदेशक के रूप में काम कर चुकी हैं.
सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रैजुएट माधबी पुरी बुच ने आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए की डिग्री हासिल की है.
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