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L&T चेयरमैन ने दी हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह, ये आपकी सेहत के लिए कितना सही? Health Updates

L&T चेयरमैन ने दी हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह, ये आपकी सेहत के लिए कितना सही? Health Updates

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Overworking Side Effects : हफ्ते में 90 घंटे काम और संडे में भी ऑफिस आने की सलाह देकर लार्सन एंड टुब्रो (Larsen & Toubro) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन अचानक से चर्चा में आ गए हैं. सोशल मीडिया पर उनके इस बयान को लेकर तीखी प्रक्रिया देखने को मिल रही है. इससे पहले इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) भी 70 घंटे काम करने की बात कह चुके हैं. इन बयानों के बाद कई तरह से सवाल भी उठ रहे हैं. जिनमें सबसे प्रमुख है कि हफ्ते में इतना काम करने का सेहत पर क्या-क्या असर पड़ सकता है. यह आपकी सेहत के लिए कितना सही है.

हफ्ते में 90 घंटे काम करना सेहत के लिए कितना सही
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत की आबादी 140 करोड़ के आसपास होने का अनुमान है. इसमें से ज्यादातर युवा आबादी है, जिनकी उम्र 35 साल या इससे कम है. ज्यादातर युवा प्राइवेट सेक्टर में जॉब करते हैं. पैसे कमाने के लिए वे दिन-रात एक कर जीतोड़ मेहनत करते हैं. ऐसे में 90 घंटे काम करने से उनका शरीर बीमारियों का घर बन सकता है.

दरअसल, ऑफिस वर्क हो या फील्ड वर्क, लगातार काम करने और काम के प्रेशर के चलते कम उम्र में ही कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं शुरू हो जाती हैं. जिन्हें नजरअंदाज कर काम के घंटे को बढा़ने से बड़ी बीमारियां अपना शिकार बना सकती हैं.

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ज्यादा काम से मौत का खतरा
WHO और ILO ने साल 2016 में कहा था कि हफ्ते में कम से कम 55 घंटे काम करने के चलते 3.98 लाख लोगों की स्ट्रोक और 3.47 लाख लोगों की दिल की बीमारियों से मौत हुई. साल 2000 से लेकर 2016 तक देखा गया कि लंबे समय तक काम करने की वजह से हार्ट डिजीज से होने वाली मौतों की संख्या में 42% और स्ट्रोक से मौतों में 19% तक का इजाफा हुआ है, जो कोरोना के बाद बढ़ा है.

हफ्ते में ज्यादा घंटे काम करने का सेहत पर असर

1. अगर आप डेस्क जॉब करते हैं तो लगातार बैठे रहने से शरीर फैट बर्न नहीं कर पाता है, जिससे मोटापा बढ़ता है और दिल की बीमारियां, डायबिटीज का खतरा बढ़ता है.
2. एक ही जगह लंबे समय तक बैठे रहने से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ने लगता है, जिससे ब्लड क्लॉट जम सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक या स्ट्रोल का खतरा बढ़ता है.
3. खराब पॉश्चर में घंटों काम करने से सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस जैसी खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं.
4. लंबी शिफ्ट में काम करने से बर्नआउट हो सकता है, अकेलेपन का भावना आती है, डिप्रेशन और एंग्जाइटी बढ़ती है.
5. ज्यादा काम करने का सबसे ज्यादा असर दिमाग पर होता है. इससे भूलने की समस्या हो सकती है. सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है.
6. फिजिकल एक्टिविटी की कमी से ब्लड फ्लो कम होता है, जिससे हाई बीपी जैसी बीमारियों के शिकार बन सकते हैं.
7. दिनभर लैपटॉप-कंप्यूटर पर बैठे रहने से आंखों की रोशनी तक जा सकती है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

 

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