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LPU के बाहर बिना कपड़ों के घूमती रही नाइजीरियन गर्ल: जालंधर में रोड पर सोती, बोली- किसी ने दस्तावेज भी छीने, अब वतन वापसी हुई – Ludhiana News Today World News

LPU के बाहर बिना कपड़ों के घूमती रही नाइजीरियन गर्ल:  जालंधर में रोड पर सोती, बोली- किसी ने दस्तावेज भी छीने, अब वतन वापसी हुई – Ludhiana News Today World News

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LPU से एंबुलेंस में रेस्क्यू करके ले जाती टीम।

नाइजीरिया से पढ़ने आई एक छात्रा का मानसिक संतुलन बिगड़ने के बाद वह जालंधर की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) के बाहर सड़कों पर भटकती मिली। लड़की कई दिनों तक बिना कपड़ों और भोजन के बदहाल हालत में रहती थी।

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सूचना मिलने पर मनुखता दी सेवा सब तों बड्‌डी सेवा सोसाइटी के संस्थापक गुरप्रीत सिंह मिंटू ने 30 अप्रैल को उसे रेस्क्यू किया और लुधियाना के “सपनों के घर” में इलाज के लिए लाए। लगभग साढ़े 5 महीने तक देखरेख और इलाज के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो गई।

इलाज के दौरान लड़की को धीरे-धीरे अपनी पहचान याद आई और उसने अपना नाम शैरॉन बताया। उसने कहा कि किसी ने उसके दस्तावेज छीन लिए थे, जिसके बाद उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। दस्तावेज न होने के कारण उसे वापस भेजना मुश्किल था, लेकिन गुरप्रीत सिंह ने नाइजीरियाई दूतावास से संपर्क साधकर उसके कागजात बनवाए।

आखिरकार 16 अक्टूबर 2025 को सोसाइटी की टीम ने शैरॉन को दिल्ली एयरपोर्ट से नाइजीरिया रवाना किया। जाने से पहले वह भावुक हो गई और “सपनों के घर” को अपना घर मानने लगी। इस दौरान उसने न सिर्फ पंजाबी बोलना सीख ली बल्कि संस्थान के अन्य मरीजों की सेवा में भी सहयोग किया।

एलपीयू जालंधर के बाहर बदहाल स्थिति में नाइजीरियन गर्ल को रेस्क्यू करते हुए गुरप्रीत सिंह मिंटू व उनकी टीम।

सड़क से वापस अपने घर तक पहुंचने की कहानी..

  • 30 अप्रैल को रेस्क्यू करके लाए थे लुधियाना: गुरप्रीत सिंह मिंटू को सूचना मिली कि लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के बाहर एक नाइजीरियन गर्ल खराब मानसिक हालात में घूमती है। उसे न तो खुद के बारे में पता है और न ही उसके पास कोई दस्तावेज हैं। वह करीब चार-पांच महीने से वहां पर बदहाल स्थिति में रह रही है। मिंटू अपनी टीम लेकर 30 अप्रैल को वहां पहुंचे। उस दिन कुछ लोगों ने उसे कपड़े व खाना दिया था।
  • दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसे पकड़ा: लड़की को रेस्क्यू करने की कोशिश की। करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसे पकड़ा और अपने साथ लेकर आए। उसने अपने शहर का नाम जरूर बताया था तो उन्होंने वहीं से अंबेसी को भी वीडियो भेज दिया।
  • पंजाबी और हिंदी नहीं समझती थी: गुरप्रीत सिंह मिंटू बताते हैं कि जब उसे लेकर आए तो उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। सपनों के घर में लाकर उसे नहलाया उसे साफ सुथरे कपड़े पहनाए और फिर उससे बातचीत की। वो पंजाबी और हिंदी नहीं समझती थी तो उसके साथ अंग्रेजी में कम्युनिकेट किया। उसे अपना नाम तक याद नहीं था। धीरे-धीरे उसे याद आया और उसने अपना नाम शैरॉन बताया।
  • शैरॉन ने बताया कि किसी ने उसके दस्तावेज छीन लिए थे: शैरॉन जेसे जैसे ठीक होने लगी तो उसे पुरानी याद आने लगी। उसने गुरप्रीत सिंह मिंटू को बताया कि किसी ने उसके दस्तावेज छीन लिए थे। धीरे धीरे उसका मानिसक संतुलन बिगड़ने लगा और उसके बाद क्या हुआ कैसे रही उसे नहीं पता।
  • नाइजीरियन एंबेसी से संपर्क साधा और डिटेल ली: गुरप्रीत सिंह ने बताया कि जब उसने अपना नाम व एड्रेस बताया तो उसके बारे में अंबेसी में संपर्क साधा। एंबेसी को उसके शहर का नाम व घर का पता बताया। एंबेसी ने उसके दस्तावेज तैयार कराए। उन्होंने बताया कि फिर उसे वापस नाइजीरिया भेजने की तैयारी शुरू की।
16 अक्तूबर को शैरॉन को दिल्ली एयरपोर्ट पर छोड़ने गए मनुखता दी सेवा सब तों बड्‌डी सेवा सोसाइटी के सदस्य।

16 अक्तूबर को शैरॉन को दिल्ली एयरपोर्ट पर छोड़ने गए मनुखता दी सेवा सब तों बड्‌डी सेवा सोसाइटी के सदस्य।

  • दिल्ली से नाइजीरिया की फ्लाइट में बैठाया: मनुखता दी सेवा सब तों बड्‌डी सेवा सोसाइटी के सदस्य उसे छोड़ने दिल्ली एयरपोर्ट तक गए और फिर उसे नाइजीरिया की फ्लाइट में बैठाकर वापस आए। जाते जाते वह बहुत भावुक थी और सपनों के घर को अपना घर समझने लगी थी। उसने वादा किया कि वो जरूर दोबारा सपनों के घर जरूर आएगी।

पंजाबी बोलने लगी थी शैरॉन गुरप्रीत सिंह मिंटू ने बताया कि शैरॉन को 30 अप्रैल 2025 को लेकर आए। वह 16 अक्टूबर तक यहां पर रही। इस दौरान उसने पंजाबी बोलनी भी सीख ली थी। यही नहीं जाते जाते वो सपनों के घर में अन्य लोगों के साथ खुद भी सेवा करने में जुट गई थी।

अपने घर नाइजीरिया जाते हुए गुरप्रीत सिंह मिंटू को गले लगाते हुए शैरॉन।

अपने घर नाइजीरिया जाते हुए गुरप्रीत सिंह मिंटू को गले लगाते हुए शैरॉन।

एक नाइजीरियन को फरवरी में भेजा था घर पिछले साल सितंबर में गुरप्रीत सिंह मिंटू को दिल्ली से फोन आया कि यहां पर तीन साल से एक नाइजीरियन व्यक्ति हे जो कि पागलों की तरह रहता है। अगर कोई उसकी मदद करता है तो वह मदद भी नहीं लेता है और कहता है कि वह सात बिलियन का मालिक है। उसके बाद गुरप्रीत सिंह मिंटू अपनी टीम के साथ दिल्ली पहुंचे और कड़ी मशक्कत के बाद उसे रेस्क्यू करके सपनों के घर में लाए। फरवरी तक उसे यहां पर रखा और 17 फरवरी को उसे भी उसके घर पहुंचा दिया।

गुरप्रीत सिंह मिंटू को सम्मानित करते हुए नाइजीरिया के राजदूत

गुरप्रीत सिंह मिंटू को सम्मानित करते हुए नाइजीरिया के राजदूत

नाइजीरियन अंबेसी ने किया गुरप्रीत सिंह मिंटू को सम्मानित गुरप्रीत सिंह मिंटू और उनके साथियों की सेवा को देखते हुए नाइजीरियन अंबेसी ने उन्हें विशेष तौर पर सम्मानित किया। अंबेसी ने उन्हें नाइजीरियन नागरिकों की मदद के लिए विशेष सम्मान प्त्र दिया। यह सम्मान उन्हें दो दिन पहले दिल्ली में दिया गया।

सपनों के घर में बेसहारा लोगों को मिलता है सहारा सपनों के घर में सैकड़ों की तादाद में बेसहारा, अपाहिजों व सड़कों पर जीवन बिता रहे लोगों को सहारा मिलता है। गुरप्रीत सिंह ने बताया कि संगत के सहयोग से उनकी संस्था लोगों की सेवा कर रही है। उन्होंने कहा कि सतगुरु ने उन्हें सेवा का मौका दिया है तो वो कर रहे हैं।

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