in

LIVE: ‘हिंदुओं में दान, ईसाइयों में चैरिटी, ऐसे ही वक्फ’, SC में तुषार मेहता की दलील Politics & News

LIVE: ‘हिंदुओं में दान, ईसाइयों में चैरिटी, ऐसे ही वक्फ’, SC में तुषार मेहता की दलील Politics & News

[ad_1]

Image Source : PTI
वक्फ मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

वक्फ कानून को लेकर दायर याचिकाओं पर आज भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश कीं। बता दें कि मंगलवार को कपिल सिब्बल ने इस मामले में अपनी दलीलें रखीं थी। आज की सुनवाई में तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा, वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है लेकिन यह इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं है। दान हर धर्म का हिस्सा है और यह क्रिश्चियन के लिए भी हो सकता है। हिंदुओं में दान की एक प्रणाली है, सिखों में भी यह मौजूद है। लेकिन किसी भी धर्म में इसे जरूरी नहीं बताया गया है।




बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार एसजी तुषार मेहता ने कहा, ‘जब तक मैंने रिसर्च नहीं की थी तब तक मुझे इस्लाम धर्म के इस हिस्से के बारे में नहीं पता था कि वक्फ इस्लामिक अवधारणा है, लेकिन यह इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है।’ 

जानें क्या क्या दलीलें दी गईं?

एसजी–वक्फ बोर्ड का वक्फ के वास्तविक कामकाज से कोई लेना-देना नहीं है। मुद्दा केवल यह है कि वक्फ बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्य हैं। बोर्ड में पहले से ही व्यापक मुस्लिम उपस्थिति है। बोर्ड अधिकतम किसी मुतवल्ली को हटा सकता है। यदि उसने कानून का उल्लंघन किया हो तो।

मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने एसजी तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं की उस आपत्ति पर जवाब दिया, जिसमें कहा गया कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है।

कोर्ट ने तुषार मेहता से पूछा कि क्या जेपीसी के सामने सेक्शन 3D रखा गया था ?

एसजी ने कहा कि हां इसे रखा जाना चाहिए और इसे रखा गया, संसद के समक्ष शामिल विधेयक रखा गया और पारित किया गया।

वक्फ 100 साल पुराना तो कागज क्यों नहीं दिखाएंगे

#

तुषार मेहता ने कहा कि 100 साल पुरानी संपत्ति का हम कागज़ कहां से लाएंगे, मुझे बताइए कि कागज़ कभी ज़रूरी नहीं थे, ⁠यह एक कहानी बनाई जा रही है। अगर आप कहते हैं कि वक्फ 100 साल से पहले बना था तो आप सिर्फ़ पिछले 5 सालों के ही दस्तावेज़ पेश करें। यह महज़ औपचारिकता नहीं थी, अधिनियम के साथ एक पवित्रता जुड़ी हुई थी। 1923 अधिनियम कहता है कि अगर आपके पास दस्तावेज़ हैं तो आप पेश करें अन्यथा आप मूल के बारे में जो भी जानते हैं, वो पेश करें।

हिंदू बंदोबस्ती आयुक्त मंदिर के अंदर जा सकते हैं

मंदिर में पुजारी का फैसला राज्य सरकार करती है। यहां वक्फ बोर्ड धार्मिक गतिविधि को बिल्कुल भी नहीं टच करता है। SG तुषार मेहता ने कहा कि झूठी और काल्पनिक कहानी गढ़ी जा रही है कि उन्हें दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे या वक्फ पर सामूहिक कब्जा कर लिया जाएगा।

पहले के कानून में तीन महीने का समय था

सॉलिसिटर जनरल ने कहा- रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था 1923 से थी। इसपर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, पहले के कानूनों में 3 महीने का समय था। अब 6 महीने का है। तो मेहता ने कहा- हां, और अगर भी कोई रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाया है तो उसके लिए अभी भी मौका उपलब्ध है। यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि संपत्ति हड़प ली जाएगी। रजिस्ट्रेशन के लिए कहा जा रहा है। वक्फ बाय यूजर के मामले में रजिस्ट्रेशन की शर्त हटाने का मतलब होगा ऐसी चीज़ को अनुमति देना जो शायद पहले दिन से गलत थी।

Latest India News



[ad_2]
LIVE: ‘हिंदुओं में दान, ईसाइयों में चैरिटी, ऐसे ही वक्फ’, SC में तुषार मेहता की दलील

It’s going to be a tough England tour for India: Rathour Today Sports News

It’s going to be a tough England tour for India: Rathour Today Sports News

कैटरीना से ज्यादा इस एक्टर संग हिट अक्षय की जोड़ी, 21 फिल्मों में गोल्डन पार्टनरशिप Latest Entertainment News

कैटरीना से ज्यादा इस एक्टर संग हिट अक्षय की जोड़ी, 21 फिल्मों में गोल्डन पार्टनरशिप Latest Entertainment News