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संसद के शीतकालीन सत्र के समाप्त होने में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। शीतकालीन सत्र का ज्यादातर वक्त हंगामे की भेंट चढ़ गया है। हालांकि, इस बीच लोकसभा और राज्यसभा में संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर चर्चा का आयोजन किया गया। इसके बाद मंगलवार को मोदी सरकार ने लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर विधेयक भी पेश किया। इस बिल को जेपीसी के पास भेजा जाएगा। दूसरी ओर देश के गृह मंत्री अमित शाह भी राज्य सभा में संबोधन दे रहे हैं।
अमित शाह ने कहा कि ये संविधान पर चर्चा हमारे संविधान के कारण देश कितना आगे बढ़ा इसका एहसास कराएगी। इससे ये भी पता चलेगा कि संविधान की भावनाओं को दरकिनार कर के कोई अपने लिए संविधान को तोड़ मरोड़ कर आगे बढ़ने का प्रयास करता है तो कैसी दुर्घटनाएं होती हैं। अमित शाह ने कहा कि ये पता लग जाएगा कि किस-किस पार्टी ने सत्ता में आने पर संविधान का सम्मान किया है।
अमित शाह ने कहा कि जब भारत आजाद हुआ तब दुनिया भर के लोगों को लगता था कि ये देश बिखर जाएगा, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं बन पाएगा। आज 75 साल बाद भारत को देखा जाए तो मैं सरदार पटेल को धन्यवाद देता हूं कि उनके अथक परिश्रम के कारण देश मजबूत होकर दुनिया के सामने खड़ा है। भारत के साथ अनेक देश आजाद हुए लेकिन वहां कई बार लोकतंत्र सफल नहीं हुआ लेकिन हमारा लोकतंत्र पाताल तक गहरा पहुंचा हुआ है। देश की जनता और संविधान की खूबसूरती ने उन्हें भी जवाब दिया है जो ये कहते थे कि भारत आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं बन पाएगा। आज भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और हम ब्रिटेन से भी आगे हैं।
अमित शाह ने कहा कि ये न समझे की भारत का संविधान दुनिया के संविधान की नकल है। हां हमने हर संविधान का अभ्यास किया है। ऋग्वेद में कहा गया है कि हर कोने से हमें सुविचार प्राप्त हो। हमने हर किसी से अच्छाई ली है लेकिन हमारी परंपराओं को नहीं छोड़ा। पढ़ने का चश्मा अगर विदेशी है तो संविधान में भारतीयता नहीं दिखेगी। जिसने भी संविधान को शब्दों में छापा है और चित्रों को छोड़ दिया है उन्होंने संविधान की भावनाओं के साथ छल किया है।
अमित शाह ने कहा कि बीआर आंबेडकर ने कहा था कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो वह बुरा बन सकता है अगर जिन लोगों पर उन्हें चलाने की जिम्मेदारी हो वह अच्छे न हो। वहीं, संविधान कितना भी बुरा हो वह अच्छा बन सकता है अगर उसे चलाने वाले लोगों की भूमिका सकारात्मक हो।
अमित शाह ने कहा कि संविधान सभा ने आर्टिकल 368 में संविधान संशोधन का प्रावधान किया गया था। अभी कुछ नेता आए हैं जो कि 54 साल के उम्र में खुद को युवा कहते हैं। और घूमते रहते हैं कि संविधान बदल देंगे। संविधाव के प्रावधानों को बदलने का प्रावधान आर्टिकल 368 में है। भाजपा ने 16 साल राज किया। 16 साल में 22 बार संविधान में परिवर्तन किया। कांग्रेस ने 55 साल के शासन में 77 परिवर्तन किए। अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ने परिवर्तन किए। संविधानिक प्रक्रिया के तहत भी परिवर्तन हुए और तोड़ मरोड़ कर भी परिवर्तन किए गए हैं।
18 जून 1951 को संविधान सभा ने संशोधन कर के 19A जोड़ा जो कि अभिव्यक्ति की आजादी को कर्टेल करने के लिए लाया गया। उस वक्त पीएम जवाहर लाल नेहरू थे। 24वां संविधान संशोधन पीएम इंदिरा गांधी ने लाया। 5 नवंबर 1971 को संविधान में संशोधन कर के संसद को नागरिकों के मौलिक अधिकार कम करने का अधिकार दिया गया। 10 अगस्त 1975 का जिक्र देश के संविधान के इतिहास में काले अक्षरों में होगा। 39वां संविधान संशोधन आया। इंदिरा गांधी के चुनाव को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अमान्य घोषित कर दिया। इसके बाद उन्होंने संशोधन से प्रधानमंत्री पद की न्यायिक जांच पर प्रतिबंध लगा दिया।
अभी कहते हैं EVM ने हरा दिया है। हारते हैं तो ईवीएम को दोष दिया। महाराष्ट्र में ईवीएम खराब है और झारखंड में नए कपड़े पहनकर शपथ ले ली।
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Live: राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह का संबोधन, विपक्ष पर जमकर बरसे – India TV Hindi