कुरुक्षेत्र। राइस मिलर्स के साथ बैठक करते डीएफएससी सुरेंद्र सैनी। संवाद
कुरुक्षेत्र। खरीफ सीजन में धान खरीद 23 सितंबर से शुरू होनी है, जिसके लिए मंडियों से लेकर हर एजेंसी तैयारियों में जुटी है। इसी बीच राइस मिलर्स की मांगों ने अधिकारियों के पसीने छुड़ा दिए हैं। राइस मिलर्स ने अपनी मांगें पूरी न होने तक वर्ष 2024-25 के लिए सीएमआर का काम न करने का एलान किया है। मिलर्स को मनाने के लिए अधिकारी भरसक प्रयास में जुटे हैं तो स्थानीय स्तर की समस्याओं को तत्काल दूर करने का भरोसा भी दिया जा रहा है लेकिन प्रदेश व केंद्र स्तर की समस्याओं पर अधिकारी बेबस दिखाई दे रहे हैं।
वीरवार को भी जिला खाद् एवं पूर्ति नियंत्रक कार्यालय में घंटों तक बैठक की गई, जिसमें डीएफएससी सुरेंद्र सैनी ने उन्हें मनाने की कोशिश की तो राइस मिलर्स अपनी कईं मांगों पर अड़े रहे। उन्हें भरोसा दिया गया कि अटके भुगतान को अगले दो-तीन दिन तक जारी करवा देने सहित स्थानीय स्तर की मांगें जल्द पूरी कर दी जाएंगी तो अन्य मांगों के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया जाएगा। इसके बावजूद राइस मिलर्स पूरी तरह से कार्य करने के लिए सहमत नहीं हुए हैं जबकि प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि उन्हें जल्द सहमत कर लिया जाएगा।
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मिल छोड़ने के लिए तैयार, सरकार चाहे तो धान लगा लें : ज्वैल सिंगला
हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन ज्वैल सिंगला का कहना है कि मिलर्स अपने मिलों को छोड़ने तक तैयार है। सरकार चाहे तो धान लगा लें। उनका कहना है कि मिलर्स को जितनी परेशानी झेलनी पड़ रही है अधिकारी उनका समाधान नहीं कर पा रहे हैं। उनकी अनेक मांगें प्रदेश व केंद्र सरकार से संबंधित है, जिस पर अधिकारी बेबस है। उन्होंने आरोप लगाए कि सबसे ज्यादा परेशानी फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया से ही मिलर्स को झेलनी पड़ रही है। उन्हें जगह तक देने में जानबूझ कर परेशान किया जाता है और सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।
ये हैं मिलर्स की मुख्य मांगें
प्रति क्विंटल धान में कितना चावल, टुकड़ा निकलता है, मंडी से धान के सैंपल लेकर एक संयुक्त कमेटी द्वारा राइस मिलर्स के सामने जांच की जाए। इसके बाद मिलर्स को कितना चावल टुकड़ा देना है यह तय किया जाए।
– मिलिंग चार्ज प्रति क्विंटल 120 रुपये हो।
– राइस मिल में धान लगाने का किराया दिया जाए।
– सीएमआर चावल लगाने का समय और जगह की योजना सरकार पहले से दें।
– मौसम और लेबर की कमी के कारण अगर धान कम होता है या टुकड़ा, रिजेक्शन बढ़ता है तो उसका नुकसान सरकार वहन करें।
– सीएमआर का चावल अधिकतर मिल के आसपास वाले गोदाम में लगे। दूर ले जाना पड़े तो उसका किराया मिले।
– सीएमआर का चावल लगाने का किराया बाजार के दर पर मिले। अभी यह बहुत ही कम एफसीआई रेट या ठेके रेट पर मिलता है।
– अपलोडिंग और स्टेकिंग के चार्ज पंजाब की तरह से 4.96 प्रति क्विंटल हों।
Kurukshetra News: राइस मिलर्स ने सीएमआर का काम न करने का किया एलान