कुरुक्षेत्र। श्रीकृष्ण संग्रहालय शुरू से ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। पर्यटक यहां श्रीकृष्ण की हर लीला, स्वरूप व उनके दिए संदेश से रूबरू होते रहे हैं। अब यह संग्रहालय प्राचीन इतिहास, कला व परंपराओं का जीवंत केंद्र भी बनने जा रहा है। यहां आने वाले पर्यटक भारतीय ज्ञान परंपरा से लेकर संस्कृति व युद्ध कौशलता से भी जुड़ते दिखाई देंगे। संग्रहालय परिसर में प्रवेश करते ही जहां अभिमन्यु चक्रव्यूह, श्रीकृष्ण का विराट स्वरूप, विभिन्न योद्धाओं के ध्वज, फाइबर ग्लास रथ पर्यटकों को खास आकर्षित करेंगे तो वहीं पेड़ों पर उकेरे जा रहे श्रीकृष्ण की लीलाओं, महाभारत प्रसंगों व ज्यामितीय शैली के रंगों को देख भी पर्यटक रोमांचित हो उठेंगे। करीब चार माह से परिसर को यह नया लुक दिया जा रहा है।
चक्रव्यूह संरचना
महाभारत काल की प्रसिद्ध एवं जटिल युद्ध रचना चक्रव्यूह को समकालीन दर्शकों के समक्ष सजीव रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। केंद्र में अभिमन्यु की फाइबर ग्लास प्रतिमा स्थापित की जाएगी। चारों ओर कौरव पक्ष के सात महान योद्धाओं जयद्रथ, कर्ण, दुशासन, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, शकुनि और द्रोणाचार्य के कट-आउट्स प्रवेश द्वारों पर स्थापित होंगे। इस चक्रव्यूह की बाहरी परिधियां डुरंटा हेज की सहायता से डिजाइन की जाएंगी। यह रचना दर्शकों को महाभारत की युद्ध नीति, रणनीति और संस्कृति की गहराई से समझने का अनूठा अवसर देगी।भगवान श्रीकृष्ण का विराट रूप, शेषनाग एवं विशाल कमल के साथ संयोजन में एक भव्य सेल्फी प्वाइंट के रूप में स्थापित किया जाएगा। महाभारत के 10 प्रमुख योद्धाओं के प्रतीक चिह्नों वाले ध्वज लगाए जाएंगे, जो उनकी पहचान और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को सरलता से दर्शाएंगे। द्विआयामी डिजाइन में निर्मित यह रथ, रंग बिरंगे स्वरूप में शानदार सेल्फी प्वाइंट होगा, जिसमें वह बैठकर या खड़े होकर छायाचित्र ले सकेंगे।।
पेड़ों पर ज्यामितीय शैली
संग्रहालय परिसर के पेड़ों पर श्रीकृष्ण लीला, महाभारत प्रसंगों और पारंपरिक पुष्पीय व ज्यामितीय शैलियों की चित्रकारी की जाएगी जो पर्यावरण के साथ कला का सुंदर समन्वय प्रस्तुत करेगी। वहीं संग्रहालय परिसर स्थित बोधि वृक्ष के चारों ओर एक विशेष ध्यान मंच का निर्माण किया किया जा रहा है ताकि पर्यटक यहां बैठकर ध्यान, आत्मचिंतन और शांति का अनुभव कर सकें। इस वृक्ष का रोपण 1987 में किया गया था।
धर्मनगरी की खास पहचान है संग्रहालय
केडीबी के सीईओ पंकज सेतिया व संग्रहालय के प्रभारी बलवान सिंह का कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित देश का यह एकमात्र संग्रहालय है। यहां हर रोज एक हजार से ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने 13 अप्रैल 1987 को कुरुक्षेत्र में लघु श्रीकृष्ण संग्रहालय स्थापित किया था। इसके बाद संग्रह बढ़े तो नया भवन बनाया गया। 28 जुलाई 1991 में नए भवन में संग्रहालय शिफ्ट किया गया, जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने किया था। 1995 में दूसरा ब्लाक और 2021 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने तीसरे ब्लाक का उद्घाटन किया था। संग्रहालय में तीन ब्लाक और नौ गैलरी हैं। देश की करीब पांच हजार वर्ष पुरानी कला, चित्रकला शैली और पुरातत्व गैलरी को संजोया हुआ है। यहां मथुरा और द्वारका से श्रीकृष्ण से जुड़ा संग्रह भी है। अब संग्रहालय परिसर को ऐसा लुक दिया जा रहा है, जिसके जरिए नई पीढ़ी को भारतीय ज्ञान, परंपरा व संस्कृति से जोड़ा जा सकेगा। दो से तीन माह तक यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
कुरुक्षेत्र। श्रीकृष्ण संग्रहालय परिसर में तैयार किया जा रहा अभिमन्यु चक्रव्यूह। संवाद

कुरुक्षेत्र। श्रीकृष्ण संग्रहालय परिसर में तैयार किया जा रहा अभिमन्यु चक्रव्यूह। संवाद