Kurukshetra News: नई शिक्षा नीति सरकारी से स्कूलों के अध्यापक निराश


कुरुक्षेत्र। सरकार द्वारा लागू नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को मानें तो सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को नए शिक्षा सत्र में नए एडमिशन करने में काफी परेशानी होगी। शिक्षक संगठनों के अनुसार नई शिक्षा नीति 2020 प्राइवेट स्कूलों को फायदा और सरकारी स्कूलों को नुकसान पहुंचाने के लिए बनाई गई है। इस नीति के तहत सरकार ने तुगलकी फरमान दिया है कि पूरे देश में सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में 2023 से पहली कक्षा में साढ़े पांच साल का बच्चा दाखिल किया जाएगा और 2024 में पहली कक्षा में छह वर्ष का बच्चा दाखिल किया जाएगा। शिक्षकों के अनुसार सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से छोटे स्तर की कोई कक्षा नहीं होती है। जबकि प्राइवेट स्कूलों में प्री नर्सरी, नर्सरी, केजी, एलकेजी आदि कई कक्षाओं का प्रचलन है।

प्राइवेट स्कूल बच्चों को प्री नर्सरी व नर्सरी में तीन साल के बच्चे को दाखिल कर लेता है। जब वह बच्चा प्राइवेट स्कूल में दाखिल हो जाएगा तो सरकारी स्कूल में उसका छह साल की उम्र में पहली कक्षा में आना नामुमकिन है। इससे साफ प्रतीत हो रहा है कि नए शिक्षा सत्र में सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा के लिए बच्चे नहीं उपलब्ध होंगे। क्योंकि गत वर्षों में पांच साल से कम के बच्चों को भी दाखिल किया जाता रहा है। शिक्षक संगठनों का आरोप है कि यह सब सरकारी स्कूलों में बच्चे खत्म करने की साजिश है। पहले ही बच्चों के मासिक व तिमाही एग्जाम नहीं लिए जा रहे। सरकार इस प्रकार के कई प्रयोग करके सरकारी स्कूलों को खत्म करना चाहती है।

फरमान वापस नहीं लिया तो सड़कों पर उतरेंगे : राजपाल

हरियाणा प्राइमरी टीचर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष राजपाल कालड़ा ने बताया कि पहले ही इन तुगलकी फरमानों और गैर जरूरी प्रयोगों के बारे में सरकार को आगाह कर चुके हैं। जिला अध्यक्ष राजपाल कालडा ने चेतावनी दी है कि या तो इस प्रकार के फरमान को वापस लिया जाए, नहीं तो विरोध स्वरूप शिक्षक आंदोलन करने के लिए सड़कों पर उतरेंगे। इसकी जिम्मेवारी सरकार की होगी। इस मौके पर अशोक बोड़ला, अलका पोपली, महावीर उप प्रधान, सुनीता, उदय, अनुराधा वर्मा, अमिता चुघ, आस्था, अमित, जोगिंदर अमीन, संजीव बतान, राजेंद्र सैनी, जय भगवान ने भी इस बारे में अपना विरोध प्रकट किया।

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