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कुरुक्षेत्र। दीपों का महापर्व दीपावली इस बार 18 से 23 अक्तूबर तक पांच दिवसीय रूप में मनाया जाएगा। कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि से आरंभ होकर द्वितीया तिथि तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज पर होता है। पांचों दिनों के इस महोत्सव में श्रद्धा, उत्साह और रोशनी का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। हर दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है।
पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि दिवाली की तिथि के लिए कई लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ पंचांगों ने इसे 21 अक्तूबर बताया है लेकिन धर्मशास्त्र और ज्योतिषीय सिद्धांतों के अनुसार 20 को ही दीपावली मनाई जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस दिन 02:45 बजे अमावस्या तिथि प्रारंभ हो रही है और प्रदोष काल अमावस्या 21 तारीख को 04:15 बजे तक रहेगी। धर्मशास्त्र के अनुसार प्रदोष व्यापिनी अमावस्या ही दीपावली पर ग्राह्य होती है, अतः 20 को ही दीपोत्सव मनाना उचित है।
धनतेरस : आरोग्य और समृद्धि का प्रारंभिक पर्व
दीपावली महोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। इस वर्ष यह पर्व 18 अक्तूबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन नए बर्तन, चांदी-सोना या अन्य वस्तुएं खरीदना शुभ होता है। ज्योतिष आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:16 से 8:20 बजे तक रहेगा। भगवान कुबेर और धन्वंतरि की आराधना से वर्षभर सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी : छोटी दिवाली और हनुमान जयंती का संगम
दिवाली का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 19 (रविवार) को मनाया जाएगा।
पंडित राकेश कुमार ने बताया है कि मान्यता है कि इसी दिन माता अंजना के गर्भ से भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर मुख्य द्वार पर चौमुखा दीया जलाने की परंपरा है। कहा जाता है कि इससे व्यक्ति सभी नकारात्मक शक्तियों और पापों से मुक्त होता है। इस दिन पितरों की विशेष पूजा का भी विधान है।
दिवाली : लक्ष्मी पूजन का पावन दिवस, शुभ मुहूर्त शाम 07:08 से 08:18 बजे तक
दिवाली, जिसे दीपों का महापर्व कहा जाता है, इस वर्ष 20 अक्तूबर को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
इस दिन घरों, मंदिरों और बाजारों में दीपों की पंक्तियां जगमगाती हैं। मां काली और कुबेर देव की भी आराधना की जाती है। पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 7:08 से 8:18 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि इस समय की गई पूजा से घर में धन, सुख और सौभाग्य स्थायी होता है।
गोवर्धन पूजा : अन्नकूट महोत्सव में प्रकृति के प्रति आभार
कुरुक्षेत्र। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्तूबर (बुधवार) को मनाया जाएगा। इसे अन्नकूट उत्सव भी कहा जाता है। इस दिन लोग गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाकर भगवान गोवर्धन देव और कृष्ण की पूजा करते हैं। पंडित बलराज कौशिक ने बताया कि यह पर्व प्रकृति, अन्न और गौ-संवर्धन के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है।
गोवर्धन देवता की पूजा के लिए सुबह 06 बजकर 26 मिनट से लेकर 08 बजकर 42 मिनट तक का समय रहेगा। वहीं शाम के समय इसी पूजा को आप दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से लेकर 05 बजकर 44 मिनट तक कर सकेंगे।
भाई दूज : स्नेह और रक्षा का प्रतीक पर्व
दिवाली के पंचपर्व का अंतिम दिन भाई दूज होता है, जो 23 अक्तूबर को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र, सुख और सफलता की कामना करती हैं। भाई भी बहन को उपहार देकर उसके प्रति स्नेह और संरक्षण का वचन देते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन यमुना स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। भाईदूज का पर्व इस साल 23 को मनाया जाएगा। इस दिन भाई को टीका करने का शुभ मुहूर्त दोपहर में 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इस दिन यमुना में स्नान करने का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व माना गया है।
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Kurukshetra News: दीपों का पंचदिवसीय महोत्सव शुरू, 18 से 23 तक रहेगी रौनक


