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कुरुक्षेत्र। हरियाणा कला परिषद की ओर से कला कीर्ति भवन की भरतमुनि रंगशाला में आयोजित साप्ताहिक संध्या में कैथल के प्रयास नाट्य रंगमंच के कलाकारों ने गुलजार का लिखा और डाॅ. महिपाल पठानिया के निर्देशन में बने नाटक मीरा का मंचन किया गया। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्य और कुवि के मुद्रण एवं प्रकाशन विभाग के अध्यक्ष डाॅ. एमके मुदगिल बतौर मुख्यअतिथि पहुंचें । वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप उप पुलिस अधीक्षक रोहताश जांगड़ा, संदीप मरवाह और आरके शर्मा उपस्थित रहे। नाटक में कलाकारों ने मीरा के मीराबाई बनने तक के सफर का मंचन किया
नाटक में दिखाया गया कि मीरा किस प्रकार स्वयं को भक्ति के प्रतिरूप में स्थापित करती है। मीरा बचपन से ही प्रभु भक्ति में लीन रहती है। एक दिन एक बारात देखकर मीरा अपनी मां से अपने दूल्हे के बारे में पूछती है तो उसकी मां मीरा के बालहठ को देखते हुए परिहास में कृष्ण को मीरा का पति बता देती है। किंतु मीरा सच में कृष्ण को अपना पति मान लेती है। मीरा की बहन कृष्णा का विवाह राजा विक्रमजीत के बेटे राजा भोज के साथ तय किया जाता है। किंतु कृष्णा की मौत के कारण मीरा का विवाह राजा भोज के साथ कर दिया जाता है। मीरा राजा भोज को अपना पति न मानकर भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन रहती है।
वहीं गुरु रैदास के मिलने पर तो मीरा जोगन ही बन जाती है। राजा भोज के परिवार वाले पंचायत कर मीरा को विषपान की सजा दिला देते हैं। लेकिन मीरा विषपान करने के उपरांत भी जीवित रहती है और भगवान कृष्ण की प्रतिमा में समा जाती है। इस प्रकार नाटक में विभिन्न घटनाओं के माध्यम से बताया गया कि मीरा किस प्रकार कृष्ण भक्ति में लीन होती जाती है, उसकी ननद की ईर्ष्या, मीरा की हत्या के प्रयास और मीरा का पीया गया विष का प्याला किस प्रकार अमृत बन जाता है।
नाटक में कृष्ण भक्ति के लिए मीरा के घर छोड़ने पर उसके पति की मनोस्थिति भी दर्शाई गई। नाटक को प्रभावी बनाने के लिए नाटक का सेट भव्य रूप से उपयोग किया गया। नाटक में मीरा का किरदार मुस्कान तथा राजा भोज का किरदार हिम्मत सिंह ने निभाया। अन्य किरदारों में तुषार, चरण, दीपाली, रघुवीर, गुरप्रीत, चाहत, विपिन, दिवांशी, पुष्पक, राखी, चंचल शर्मा, लव, केशव, हर्षित , नमन, परम तथा शब्द शामिल रहे। संगीत विकास तथा गौरांश ने सम्भाला। प्रकाश व्यवस्था यश और रूप सज्जा यशुदास ने की।
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Kurukshetra News: कलाकारों ने नाटक में दिखाया मीरा से मीराबाई बनने तक का सफर


