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कुरुक्षेत्र। सेक्टर 17 में कचरा उठान के लिए पहुंचा टिप्पर। संवाद
संवाद न्यूज एजेंसी
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कुरुक्षेत्र। धर्मनगरी को स्वच्छ बनाए जाने के दावे पिछले कई वर्षों से किए जा रहे हैं, जिसके लिए नगर प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन ने अनेक प्रयास भी किए।
घर-घर से कचरा उठान से लेकर अन्य व्यवस्थाएं भी की गई, जिसके कुछ सकारात्मक परिणाम भी दिखाई दिए लेकिन आज भी हर रोज निकलने वाला करीब 130 टन कचरा लोगों के साथ-साथ प्रशासन के गले की फांस बना हुआ है।
नगर व जिला प्रशासन के पास आज भी कचरा निस्तारण के लिए प्लांट तक नहीं है और इसे करनाल स्थित प्लांट पर ही ले जाया जा रहा है। यहां तक कि नगर प्रशासन स्थायी रूप से डंपिंग साइट भी नहीं तय कर पाया है। हालांकि प्रशासन ने स्थायी डंपिंग साइट के लिए कई बार प्रयास किए लेकिन हर बार किसी न किसी रूप में विरोध का ही सामना करना पड़ा।
हालात यह है कि आज भी कचरा एकत्रित करने के लिए अस्थायी साइटों का ही सहारा लिया जा रहा है। मथाना गांव से शुरू हुआ था विरोध प्रशासन ने पहले कुरुक्षेत्र-यमुनानगर रोड पर गांव मथाना के एरिया में डंपिंग साइट बनाई थी, जहां ग्रामीणों ने बीमारी फैलने की आशंका के चलते विरोध करते हुए इसे हटवा दिया था। इसके बाद प्रशासन ने कभी गांव बाहरी तो कभी कनीपला में भी यह साइट तलाश की लेकिन विरोध का सामना करना पड़ा। यहां तक कि पिहोवा व शाहाबाद में भी कचरा पहुंचाया जाने लगा लेकिन वहां भी प्रयास पूरी तरह सिरे नहीं चढ़ पाए।
गीले और सूखे कचरे का भी नहीं हो पाया निर्धारण : हालांकि प्रशासन की ओर से गीले और सूखे कचरे को घरों से उठान के दौरान ही अलग-अलग करने की योजना बनाई थी।
लगाए गए टिप्परों को भी इसी तरह से तैयार कराया गया था तो जागरूकता अभियान भी चलाए गए थे। यहां तक कि मार्केट से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर गीले व सूखे कचरे के लिए डस्टबिन रखवाए गए। इसके बावजूद भी आज तक यह गीले व सूखे कचरे का उठान एक साथ ही किया जाता है।
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Kurukshetra News: आज भी गले की फंास बना घरों से निकलने वाला कूड़ा