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कुरुक्षेत्र। अभिनेता का अभिनय के माध्यम से ही अध्यात्म का रास्ता तय होता है। अभिनय का मूल अध्यात्म में निहित है तथा अपने मूल को जानकर ही मनुष्य का भटकाव समाप्त हो सकता है। सूक्ष्मता ही जीवन का आधार है क्योंकि सूक्ष्म शरीर ही ज्ञान का स्रोत है। अध्यात्म के पथ पर चलने से मनुष्य की सफलता निश्चित है। वास्तव जीवन वेद में है। व्यक्ति के जीवन में जो भटकाव आया है उसका कारण है कि हम वेदों से कट गए हैं।
ये कहना है मशहूर फिल्म अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा का, वह वीरवार को कुरुक्षेत्र विवि के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग तथा संस्कृति सोसाइटी फॉर आर्ट्स एंड कल्चरल डेवलपमेंट के सहयोग से आयोजित सातवें हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में अपनी पुस्तक अभिनय, अभिनेता और अध्यात्म पुस्तक पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ये पुस्तक ब्रह्म मुहूर्त में लिखी गई है और ब्रह्म मुहूर्त में किया गया कार्य हमेशा शुद्ध होता है। जब वह अभिनय सीख रहे थे तो वह बारीकियां जानने को लेकर हिंदी भाषा में कोई पुस्तक ढूंढ़ते थे, लेकिन उन्हें नहीं मिली उसी दिन से उन्होंने सोचा था कि वह युवा पीढ़ी के लिए पुस्तक लिखेंगे तो उन्होंने अपना संकल्प पूरा किया है ताकि जो समस्याएं उनके सामने आई वे युवा कलाकारों के सामने न आएं।
पुस्तक में अनुशासन, विश्वास, दृढ़ संकल्प, एकाग्रता समाहित है जो युवा अभिनय के क्षेत्र में जाना चाहते हैं उनके लिए यह पुस्तक एक मार्ग दर्शक का कार्य करेगी। उन्होंने बताया कि थियेटर में आने के बाद किसी एकेडमी में सीखने के लिए नहीं गए बल्कि स्वतंत्र रहकर विभिन्न निदेशकों के साथ काम करके उन्होंने अभिनय के गुर सीखे। किसी एक अभिनय स्कूल में दाखिला लेने की बजाय अलग-अलग लोगों से अभिनय की बारीकियां सीखनी चाहिए।
फिजिक्स के छात्र रहे हैं अखिलेंद्र मिश्रा
अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा फिजिक्स के छात्र रहे हैं और अभिनय में उनकी रुचि थी। उन्होंने अपने विज्ञान विषय से लेकर अभिनय और अध्यात्म के सफर को साझा किया और कहा कि विज्ञान जहां खत्म होता है अध्यात्म वहां शुरू होता है। हाथ के संकेत द्वारा स्थूल एवं सूक्ष्म के अंतर के बारे में बताया कि व्यक्ति जब मर जाता है तब भी उसका स्थूल शरीर होता है, लेकिन उसका सूक्ष्म मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार निकल जाता है। मन पर बुद्धि का नियंत्रण होना चाहिए।
तीसरा विश्व युद्ध मनुष्य और प्रकृति के बीच होगा
अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा ने अपनी कविता अखिलामृतम के माध्यम से प्रकृति की चेतावनी का वर्णन किया, जिसे सुनने के बाद हर कोई प्रकृति काे लेकर चिंतन करने लगा। कविता प्रकृति का प्रहार मचा हाहाकार, सुना चित्कार, त्रस्त संसार, कौन जिम्मेवार…सुनाकर मनुष्य का प्रकृति के प्रति दोहन को बयान किया। उन्होंने कहा कि तीसरा विश्व युद्ध मनुष्य-मनुष्य के बीच नहीं बल्कि मनुष्य और प्रकृति के बीच होगा।
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Kurukshetra News: अखिलेंद्र मिश्रा ने विद्यार्थियों को पढ़ाया अध्यात्म का पाठ