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कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग तथा संस्कृति सोसाइटी फॉर आर्ट्स एंड कल्चरल डेवलपमेंट के सहयोग से सातवें हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित किया गया। महोत्सव का तीसरा दिन महिला सशिक्तकरण को समर्पित किया गया, जिसमें अधिकतर फिल्में भी महिलाओं के जीवन से संबंधित रहीं तो वहीं मुख्यातिथि के तौर पर भी नगरपालिका की पूर्व अध्यक्ष उमा सुधा रहीं।
कार्यक्रम में मेघा डांस स्टूडियो के बाल कलाकारों ने हरियाणवी गीतों पर प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया। नन्हीं कलाकारों का जोश देखकर महोत्सव में मौजूद अभिनेत्री शिखा मल्होत्रा थिरकने पर मजबूर हो गई। अभिनेत्री ने कलाकारों के साथ मनैया छाती से ला के रखियो पर नृत्य किया, उनकी प्रस्तुति को देख पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कलाकारों को मुख्यातिथि द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया।
सुधा ने कहा कि फिल्म महोत्सव युवाओं के लिए मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि एक प्रयोगशाला है, जहां विद्यार्थी नूतन अभिनेता, फिल्म जगत के प्रसिद्ध अभिनेताओं, अभिनेत्रियों सहित फिल्म जगत से जुड़ी हस्तियों से रूबरू होंगे तथा उनके अनुभवों से फिल्म जगत की बारीकियों को भी जानेंगे। महिलाओं को समर्पित फिल्में बनने से आज की महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुई हैं और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। इसी के साथ सामाजिक सरोकारों को लेकर फिल्में दिखाई जा रही हैं ताकि युवाओं में समाज के प्रति सम्मान की भावना को स्थापित किया जा सकें।
इस मौके पर कार्यक्रम के निदेशक धर्मेंद्र डांगी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी, युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला, लोक संपर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, प्रो. शुचिस्मिता, सचिव विकास, डॉ. ज्ञान चहल, लक्ष्मी अरोड़ा सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।
अभिनेत्री शिखा की फिल्म माय फादर पर भाव विभोर हुए दर्शक
फिल्म महोत्सव के तीसरे दिन कई फिल्मों का प्रदर्शन किया गया, जिसमें खास तौर पर फिल्म अभिनेत्री की लघु फिल्म माय फादर को जब प्रदर्शित किया गया। फिल्म में शिखा मल्होत्रा के अभिनय, फिल्म की कहानी व उससे मिलने वाले संदेश से दर्शक भाव विभोर हो गए। फिल्म में संदेश दिया गया कि किसी कारणवश माता-पिता अलग हो जाते हैं, तो उनके बच्चों पर क्या असर पड़ता है। बच्चे किस प्रकार अपने पिता के प्यार व साथ की कमी को जीवन भर तरसते हैं। इसी के साथ दूसरी शाॅर्ट फिल्म कान्हा जी में सामाजिक जाति-पाति, ऊंच-नीच, छुआछूत पर कटाक्ष किया गया कि किस प्रकार बाल्यकाल से ही बच्चों के मन पर सामाजिक बुराई की छाप पड़ती है और समाज उन्हें बचपन से ही ऊंच-नीच व जाति-पांति का पाठ पढ़ा देता है।
महोत्सव में आज ये फिल्में की जाएंगी प्रदर्शित
प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि 10 अगस्त को भारतीय हिंदी भाषा फीचर फिल्म बासन-द वेसल, हरियाणवी भाषा की फिल्म थारा फूफा जिंदा है व मलयालम भाषा की थन्नुप फीचर फिल्म, स्विटजरलैंड देश की अंग्रेजी भाषा की फीचर फिल्म द सेफ, भारत की हिंदी डॉक्यूमेंट्री ट्रांसफार्म व हरियाणवी शाॅर्ट फिल्म तीसरी छोरी, वियतनाम देश की अंग्रेजी भाषा की शाॅर्ट फिल्म सुपरमार्केट अफेयर्स, भारत देश की हिंदी व अंग्रेजी भाषा की डाक्यूमेंट्री लद्दाख-470, स्पेन देश की स्पेनिश भाषा की शाॅर्ट फिल्म व्हेन ग्रास ग्रोज, बांग्लादेश की बंगाली भाषा की शाॅर्ट फिल्म ए लैटर ऑफ पोस्टमास्टर तथा भारत की हिंदी भाषा में शाॅर्ट फिल्म गो रवि गो को प्रदर्शित किया जाएगा।
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Kurukshetra News: महिला सशक्तिकरण को समर्पित रहा फिल्म महोत्सव का तीसरा दिन