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शाहाबाद। पहाड़ों पर हुई तेज बारिश से नदियां भी उफान पर हैं। मारकंडा नदी में सोमवार को काला अंब से करीब 39 हजार क्यूसेक पानी आंका गया था। जबकि दाेपहर बाद तक शाहबाद में 33,588 क्यूसेक पानी पहुंच गया जो खतरे के निशान से 3500 क्यूसेक अधिक रहा। वहीं अंबाला जिला के तंदवाल के पास बांध कटाव के चलते निकले पानी से शाहाबाद के नौ गांव की फसलें प्रभावित हुई हैं। जिसमें काफी नुकसान की आशंका जताई जा रही है। वहीं प्रशासन आसपास के गांव में मुनादी करवाकर लोगों को सतर्क कर रहा है।
हालांकि शाहाबाद में बांध मजबूत है और 35 हजार क्यूसेक तक पानी बांध क्रॉस नहीं कर सका है लेकिन अंबाला जिले के तंदवाल गांव के पास बांध कटाव से निकले पानी ने यहां गांव पाडलु, डाडलु और दामली आदि के ग्रामीणों को भी चिंता में डाल दिया है। शाहाबाद में सोमवार दोपहर अधिकतम पानी 33 हजार 588 क्यूसेक आंका गया है। शाहाबाद पार करने के बाद नदी के पानी ने गांव कठवा, मुगलमाजरा, गुमटी, तंगौर, झरोली खुर्द, कलसाना और अरूप नगर में फसलों को नुकसान पहुंचाया है।
काला अंब में मारकंडा नदी पर तैनात गेज रीडर कश्मीरा ने बताया कि रविवार अलसुबह यहां से ऊपर काफी बारिश हुई, जिसके बाद वहां रविवार अलसुबह मारकंडा नदी में करीब 39 हजार क्यूसेक पानी आंका गया लेकिन फिलहाल पहाड़ों में बारिश और मारकंडा नदी में पानी बढ़ रहा है। उधर शाहाबाद में मारकंडा नदी पर तैनात गेज रीडर रविंद्र ने बताया कि नदी में पानी लगातार बढ़ता दिखाई दे रहा हैं। उन्होंने बताया कि देर रात शाहाबाद में भी पानी का स्तर कम होने लगेगा।
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मुनादी करवा ग्रामीणों को किया जा रहा सतर्क : एसडीएम
एसडीएम नरेंद्र मलिक का कहना है नदी के बढ़ते जलस्तर पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। अब जलस्तर कम होना शुरू हो गया है। शाहबाद क्षेत्र में मारकंडा नदी के तट पर हर जगह बांध मजबूत है। प्रशासन लगातार मुनादी करवाकर ग्रामीणों को सतर्क रहने और नदी से दूर रहने का संदेश दे रहा है।
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मारकंडा में बढ़ते जलस्तर को देख 500 क्यूसेक पानी एसवाईएल नहर में छोड़ा
संवाद न्यूज एजेंसी
इस्माईलाबाद। मारकंडा नदी में पानी के बढ़ते स्तर को देखते हुए जहां लोगों में भय दिखाई दे रहा है। वहीं क्षेत्र में सिंचाई विभाग की ओर से करीब 500 क्यूसेक पानी एसवाईएल नहर में छोड़ा गया है। इससे क्षेत्र वासियों ने कुछ राहत की सांस ली है।
मारकंडा नदी में बढ़ते पानी के स्तर से आसपास के किसानों व डेरा वासियों में भय की स्थिति बनी हुई है। पिछले साल भी जुलाई माह में पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बरसात से मारकंडा नदी में आए उफान से कई स्थानों पर मारकंडा नदी के तटबंध टूट गए थे। इससे गांव नैसी, जलबहेड़ा, टबरा, मडाडो, जैतपुरा, शेरगढ़, जंधेडी, बालापुर, दानीपुर, जखवाला आदि सैकड़ों गांवों की हजारों एकड़ धान की फसल जल मग्न हो गई थी। किसानों का कहना कि प्रशासन को मारकंडा नदी की समय रहत सफाई का कार्य किया जाना था लेकिन सफाई नहीं की गई। नहरी विभाग को मारकंडा नदी में आए उफान को देखते समय रहते अपनी तैयारी करनी चाहिए ताकि आपात की स्थिति से पहले ही स्थिति पर काबू पाया जा सके।
ये गांव रहते हैं प्रभावित
मारकंडा नदी का पानी तटबंधों से होकर खेतों में घुस जाता है। इससे पहले भी मारकंडा नदी का पानी गांव जलबेहडा, नैसी, टबरा, शेरगढ़, मडाडों, शेरगढ़, जैतपुरा, जोधपुर, जंधेडी, बालापुर, दानीपुर व जखवाला आदि कई गांवों की हजारों एकड़ धान की फसल को नुकसान पहुंचा चुका है। ऐसे में इन गांव के लोगों में ही इस बार भी सबसे ज्यादा भय बना हुआ है। गांव जलबेहडा के किसान बलदेव शर्मा ने कहा कि मारकंडा नदी में आया उफान किसानों की धान की फसल को पहले भी बहुत नुकसान पहुंचा चुका है। लेकिन प्रशासन समय रहते मारकंडा नदी की सफाई नहीं करता जिससे मारकंडा नदी में आया पानी ओवर फ्लो होकर किसानों के खेतों में घूस जाता है और काफी नुकसान पहुंचाता है।
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तैयारी पूरी, लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं : एसडीओ
एसडीओ राहिल सैनी का कहना है कि क्षेत्र में इस समय मारकंडा का जलस्तर खतरे की निशान के नीचे है। मारकंडा नदी में करीब 8000 क्यूसेक पानी बह रहा है। नदी का कुछ पानी एसवाईएल नहर में छोड़ा गया है। नहरी विभाग मारकंडा नदी पर निरंतर नजर बनाए हुए। विभाग के कर्मचारी मारकंडा नदी पर लगातार पेट्रोलिंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए विभाग ने सभी तैयारियों पूरी कर ली हैं। लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है।
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Kurukshetra News: खतरे के निशान से ऊपर मारकंडा नदी