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श्री कृष्ण की भूमिका अदा करने वाले अभिनेता डॉ. नीतीश भारद्वाज कुरुक्षेत्र पहुंचे।
– फोटो : संवाद
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हरियाणा के कुरुक्षेत्र में धारावाहिक महाभारत (90 दशक) में श्री कृष्ण की भूमिका अदा करने वाले अभिनेता डॉ. नीतीश भारद्वाज अध्यात्म वसनातन से भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संदेश दे गए। इस दौरान उन्होंने महाभारत धारावाहिक के कई किस्से भी लोगों के साथ साझा किए।
डॉ. नीतीश भारद्वाज जिला जेल के नजदीक होटल में सनातनी प्रोफेशनल्स कॉन्क्लेव 2024 कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आए थे। कार्यक्रम में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी हरिओम परिवाज्रक, कुरुक्षेत्र व आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति, 48 कोस कमेटी के अध्यक्ष मदन मोहन छाबड़ा ने अपने विचार साझा किए। यह कार्यक्रम संपर्क भारती की ओर से अतिथि-सत्कार और पर्यटन थीम के साथ धर्मनगरी में आयोजित किया गया।
डॉ. नीतीश भारद्वाज ने कहा कि गीता में वेद, उपनिषद, पुराण व ग्रंथों का निचोड़ है। गीता ही ब्रह्म है, जो व्यक्ति को जीने का सिद्धांत सिखाती हैं। भारत को अध्यात्म व सनातन से जोड़ने के लिए गीता का राष्ट्र पुस्तक घोषित करना होगा। बच्चों को बचपन से गीता का वाचन सीखना होगा ताकि उनका बौद्धिक स्तर ऊंचा हो सके और उनमें हर निर्णय स्वयं लेने की भावना उत्पन्न हो सके। विश्व में अकेले हम ही सभी के सुखी होने की सर्वे भवन्तु सुखिनः: का संदेश देते हैं।
कहा कि युवा पीढ़ी को अपना कर्तव्य समझना होगा। युवा अपने कारोबार पर चिंतन करें, तभी हम अपने देश को आत्मनिर्भर बना सकेंगे। गीता को उनको हर समस्या का समाधान मिल जाएगा। इसके लिए गीता का उनके पास होना जरूरी नहीं है, बल्कि उसे पढ़ना जरूरी है। सामाजिक तौर पर हर समुदाय को सशक्त बनाकर अगली पीढ़ी के युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करना है।
मैं नहीं करना चाहता था श्री कृष्ण का रोल
डॉ. नीतीश भारद्वाज ने बताया कि वह महाभारत में श्री कृष्ण का रोल नहीं करना चाहता है, मगर नियत ने उनके लिए पहले ही सब कुछ निर्धारित कर रखा था। वह खुद को कहीं भी श्री कृष्णा के रोल में फिट नहीं मान रहे थे, क्योंकि मैं खुद को मूढ़ समझता था। आखिरकार बीआर चोपड़ा ने उनसे कहा कि तुम्हें मुझ पर विश्वास है तो उन्होंने हां कर दी और रोल के लिए तैयार हो गए।
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Kurukshetra: अध्यात्म व सनातन से भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संदेश दे गए महाभारत के कृष्ण