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करनाल। जिले में मधुमेह के मरीजों की संख्या हर साल बढ़ रही है। इसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं में देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, ढाई साल में लगभग 4 लाख 1,716 लोगों की स्क्रीनिंग की गई, जिनमें से 28,333 लोग मधुमेह से ग्रसित पाए गए जिनमें 16,769 महिलाएं और 11,664 पुरुष शामिल हैं। यानी जिले में हर 14वां व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है, इनमें 60 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।
जिले के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले ज्यादातर मरीज टाइप-2, जबकि युवाओं में टाइप-1 मधुमेह के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। कई महिलाओं में गर्भावधि मधुमेह के केस भी सामने आ रहे हैं। नागरिक अस्पताल से वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुलबीर के अनुसार, महिलाओं में मोटापा या चर्बी, पीसीओएस, गर्भावस्था और हार्मोनल असंतुलन की स्थिति बन जाती है जिसके कारण उनमें इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ जाता है जिसे वें नजरअंदाज कर देती है जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित नहीं रह पाता और मधुमेह का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
युवाओं पर भी असर
युवाओं में टाइप-1 डायबिटीज के केस सामने आ रहे हैं जबकि गर्भवती महिलाओं में गर्भावधि मधुमेह का प्रतिशत बढ़ रहा है। यह स्थिति न केवल महिला के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी खतरा बन जाती है। डॉ. कुलबीर का कहना है कि अगर गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर बढ़ जाए, तो बच्चे में आगे चलकर मधुमेह की संभावना बढ़ जाती है।
बचाव के उपाय-
– जीवनशैली में सुधार प्रभावी तरीका।
– रोजाना कम से कम 30 मिनट टहलें।
– चीनी और तले खाद्य पदार्थों से परहेज रखें।
– तनाव से दूरी बनाएं और पर्याप्त नींद लें।
– 30 वर्ष से अधिक उम्र वाले हर छह माह में शुगर जांच कराएं।
बच्चे तक मधुमेह की चपेट में-
अब मधुमेह केवल वयस्कों की बीमारी नहीं रह गई। अब दो से पांच वर्ष तक के बच्चों में भी शुगर की समस्या सामने आ रही है। नागरिक अस्पताल से एसएमओ डॉ. कुलबीर ने बताया कि इन मामलों में अनुवांशिक कारण) प्रमुख हैं। परिवार के किसी सदस्य को मधुमेह है, तो बच्चे में इसके होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है लेकिन ऐसे भी एनसीडी विभाग में बच्चे भी आ रहे हैं जिनमें पैदा होने के दो तीन साल बाद शुगर मिल रहा है। नागरिक अस्पताल के एनसीडी विभाग में रोजाना 150 से 200 लोग शुगर की जांच कराने आ रहे हैं। रोजाना 18 से कम उम्र के 6 से 7 बच्चे मधुमेह से पीड़ित जांच कराने आ रहे हैं। जबकि 30 से अधिक उम्र के 50 प्रतिशत मरीज आ रहे हैं।
– गर्भावस्था में जीटीटी करवाएं
डॉ. कुलबीर के अनुसार, बच्चों में होने वाली मधुमेह से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं को समय पर जीटीटी (ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट) जांच करवानी चाहिए। इससे पता लगाया जा सकता है कि मां का ब्लड शुगर स्तर सामान्य है या नहीं। जांच गर्भावस्था के 24वें से 28वें सप्ताह के बीच किया जाता है। गर्भावस्था में शुगर का स्तर बढ़ने से बच्चे के मेटाबॉलिज्म पर असर पड़ता है, जिससे आगे चलकर टाइप-1 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। यदि पहले ही इसे नियंत्रित कर लिया जाए तो आगे बच्चे को होने का खतरा कम हो सकता है।
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Karnal News: हर 14वां व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित, इनमें 60 फीसदी महिलाएं


