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Karnal News: सीएसएस से होगी बिजली आपूर्ति, हटेंगे ट्रांसफार्मर Latest Haryana News

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सुखदेव चौहान

करनाल। बिजली निगम की ओर से 36 करोड़ रुपये की लागत से शहर की बिजली लाइनों को भूमिगत किया जा रहा है। इस परियोजना में बिजली के ट्रांसफार्मर हटाकर एक हजार केवीए के सीएसएस के जरिये मुख्य बाजार में बिजली आपूर्ति होगी। इस सुविधा के होने से शहरवासियों को तारों के झंझट से निजात मिलेगी।

शहर में आंबेडकर चौक से घंटाघर चौक, घंटाघर चौक से पुरानी सब्जी मंडी व कुंजपुरा रोड से होते हुए जिला नागरिक अस्पताल तक, पुरानी सब्जी मंडी से मीरा घाटी चौक और वहां से मेरठ चौक तक की सभी खुली लाइनों को भूमिगत किया जाएगा। पहले यह कार्य 32 करोड़ रुपये की लागत से होना है। सर्वे के बाद इसमें संशोधन करके अब इस परियोजना को 36 करोड़ रुपये की लागत से अमलीजामा पहनाया जाएगा।

इस कार्य के लिए दिल्ली की गो पावर इलेक्टैक कंपनी को टेंडर दिया गया है। बिजली निगम की ओर से इस कार्य को मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बिजली लाइनों को भूमिगत करने के लिए 13 किलोमीटर की एचटी लाइन तथा करीब 16 किलोमीटर की एलटी लाइन बिछाई जाएगी। शहर में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए एक हजार केवीए के 19 कॉम्पैक्ट सेकेंडरी सबस्टेशन (सीएसएस) लगाए जाएंगे तथा 25 रिंग मेन यूनिट (आरएमयू) लगेंगे।

132 फीडर पिलर तथा 13 किलोमीटर की उच्च घनत्व पॉलिथीन (एचडीपीई) पाइप लगाई जाएगी, जिससे बिजली की एचटी तार सुरक्षित रहे। बिजली निगम की ओर से सबसे पहले शहर की उन मुख्य पांच सड़कों की लाइनों को भूमिगत करने का निर्णय लिया गया है, जिन सड़कों पर लोगों व वाहनों की आवाजाही ज्यादा है।

इन सड़कों पर तारों का इतना गहरा जाल बिछा है कि एक लाइन में खराबी आने से दूसरी तारें व उपभोक्ताओं की निजी कनेक्शनों की तारें भी चपेट में आकर क्षतिग्रस्त हो जाती थी। अब दो फीडरों की लाइनें भूमिगत होने से एक फीडर बंद होने से दूसरी लाइन चालू करके निर्बाध बिजली दी जाएगी।

उपभोक्ताओं को बिजली सप्लाई निर्बाध व पूरी वोल्टेज के साथ मिलेगी। इस प्रोजेक्ट के तहत दो फीडर से बिजली सप्लाई का ऑप्शन रहेगा, इसके लिए आरएमयू लगाए जाएंगे अगर कभी किसी फीडर से बिजली सप्लाई में कोई बाधा आती है तो दूसरा फीडर से सप्लाई चालू की जा सकेगी। इससे उपभोक्ताओं को बिजली की खराबी की समस्या नहीं झेलनी पड़ेगी।

बाजार की मुख्य सड़कों पर खुली बिजली लाइन हटाने से जहां दुकानदारों व राहगीरों को तारों के झंझट से निजात मिलेगी। वहीं बिजली निगम के कर्मचारियों को लाइन फाल्ट ढूंढने में भी आसानी रहेगी। तारों के भूमिगत होने से आंधी व बरसात के मौसम में लाइन में खराबी आने की समस्या भी नहीं रहेगी। इस सुविधा से उपभोक्ताओं को बिजली के अघोषित कटों से राहत भी मिलेगी क्योंकि ओपन लाइन में ज्यादा फाल्ट आते हैं। संवाद

क्या है सीएसएस

कॉम्पैक्ट सेकेंडरी सब स्टेशन (सीएसएस) एक प्रकार का परीक्षण किया गया प्री-फैब्रिकेटेड सब स्टेशन है जिसमें एक संलग्नक शामिल होता है, जिसमें मध्यम वोल्टेज (एमवी) स्विचगियर, वितरण ट्रांसफार्मर, कम वोल्टेज (एलवी) स्विचबोर्ड शामिल है। इसकी अपेक्षा ट्रांसफार्मर सबसे सरल उपकरण है जिसका उपयोग विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की प्रक्रिया के माध्यम से विद्युत ऊर्जा को एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ से दूसरे परिपथ या कई परिपथों में स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है। बिजली लोड को चलाने में सीएसएस की क्षमता ट्रांसफार्मर की अपेक्षा काफी ज्यादा है।

सीएसएस रखने के लिए शहर में प्लींथ तैयार कर दिए गए है। इसके अलावा 25 आरएमयू, 3.5 किलोमीटर एचटी लाइन, 10 किमी एलटी लाइन भी आ चुकी है। ग्रैप चार लागू होने के कारण कुछ जगहों पर प्लींथ अभी नहीं बनाए जा रहे। इसके हटते ही शेष प्लींथ तैयार सबसे पहले भूमि में उच्च घनत्व पॉलीथीन (एचडीपीई) पाइप डाली जाएगी। बिजली लाइनों को भूमिगत करने का कार्य पहले 32 करोड़ से होना था। अब इसे बढ़ाकर 36 करोड़ कर दिया गया है। – कुलदीप सिंह, एसडीओ, उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम।

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