यमुनानगर। श्री लाल द्वारा मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में बुधवार को कथा व्यास आचार्य मिथिलेश नंदन कौशिक ने समुद्र मंथन का वर्णन करते हुए कहा कि व्यक्ति को असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए। असफलता का सामना डटकर करना चाहिए।
असफलता के पश्चात ही जीवन में सफलता प्रवेश करती है। जब देवताओं ने दैत्यों के साथ मिलकर समुद्र मंथन प्रारंभ किया, तो वे सभी इसलिए मंथन कर रहे थे कि हमें अमृत प्राप्त होगा और जो भी अमृत का पान करेगा, वह अमर हो जाएगा। परंतु मंथन करने के पश्चात सबसे पहले विष निकला है विष को देखकर सभी घबराए और सभी ने महादेव की प्रार्थना की।
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कथावाचक ने कहा कि महादेव प्रकट होकर आए और समस्त विष का पान कर लिया। इस प्रकार हमारे भी जीवन में बहुत सारे कष्ट आते हैं, परंतु जिसने कष्टों से पार पा लिया और असफलता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, उन्हें एक दिन निश्चित तौर पर सफलता प्राप्त होती है।
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श्रीमद्भागवत कथा में प्रवचन करते आचार्य मिथिलेश नंदन कौशिक। संवाद
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Karnal News: श्रीमद्भागवत कथा में सुनाया समुद्र मंथन का वर्णन