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पानीपत। इस साल शरद पूर्णिमा 6 अक्तूबर को मनाई जाएगी। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात साल में एक ऐसी रात होती है जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करता है। इसी कारण इस रात को आसमान के नीचे खीर बनाकर रखने और अगले दिन प्रसाद रूप में ग्रहण करने की परंपरा है। जिससे आरोग्यता और सुख-समृद्धि मिलती है। प्राचीन सिद्ध देवी मंदिर के आचार्य लालमणि पांडेय ने बताया कि सत्यनारायण पूर्णिमा कथा व्रत 6 अक्तूबर को मनाया जाएगा जो दोपहर 12:24 से शुरू होकर 7 अक्तूबर की सुबह 9:18 बजे तक रहेगा। पूर्णिमा स्नान-दान 7 को सुबह 9:18 बजे तक रहेगा। कार्तिक स्नान का प्रारंभ 8 अक्तूबर से होगा। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अत्यधिक शक्तिशाली होती हैं और उनमें विशेष औषधीय गुण आ जाते हैं। इस चांदनी में रखे गए दूध या चावल की खीर को अमृत के समान माना जाता है।
शरद पूर्णिमा पर दान का महत्व
पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन चावल का दान, गुड़, दीप का दान करना उत्तम है। ऐसा करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। खीर का दान करने से धन की प्राप्ति और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। दूध, दही, चावल, खीर, सफेद कपड़े, फल, अनाज, गुड़, घी और जल से भरे पात्र का दान करना चाहिए।
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Karnal News: शरद पूर्णिमा आज, कार्तिक स्नान 8 से शुरू


