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– चीनी मिल अधिकारियों के साथ फसल का किया निरीक्षण, रोगों के निदान के बताए उपाय
माई सिटी रिपोर्टर
करनाल। गन्ने की फसल में कई तरह के कीट देखे गए, जो फसल को रोगग्रस्त करके भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये खुलासा तब हुआ जब चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, उचानी व करनाल के कृषि वैज्ञानिकों की सयुंक्त टीम ने गांवों में जाकर गन्ने की फसल का निरीक्षण किया। वैज्ञानिकों ने किसानों को उनके निदान के उपाय भी बताए हैं।
क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र उचानी व करनाल के कृषि वैज्ञानिकों की टीम में डॉ. महा सिंह, डॉ. हरबिंदर सिंह, डॉ. नवीन कुमार, डॉ. विजेता गुप्ता व डॉ. रमेश जांगड़ा शामिल रहे। इन्होंने करनाल चीनी मिल के अधिकारी रोहतास लाठर, मनोज कुमार व रणबीर सिंह के साथ क्षेत्र के भैणी खुर्द, भैणी कलां, बड़ा गांव, बयाना व बदरपुर में गन्ने की फसल का निरीक्षण किया। वैज्ञानिकों के पास पहले से गन्ने की पत्तियों में पीलेपन आने की शिकायतें आ रही थी।
निरीक्षण के दौरान गन्ने में ब्लैक बग, माइट, तराई बेधक व चोटी बेधक कीटों का प्रकोप के साथ-साथ सोका रोग के लक्षण भी मिले। वैज्ञानिकों ने इसे गंभीरता से लेते हुए किसानों को इसकी रोकथाम के उपाय करने की सलाह दी। इस दौरान प्रगतिशील किसान प्रवीण कुमार, राजबीर, तिलक राज नंबरदार, जोगिंदर व बसंत राम भी मौजूद रहे।
ये उपाय करें
विशेषज्ञों ने किसानों को बताया कि काली कीड़ी की रोकथाम के लिए फेंजाल दवाई 400 मिली. का 400 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। तराई बेधक की रोकथाम के लिए अंडे के परजीवी का प्रयोग करने की सलाह दी। एक ट्राइको कार्ड को प्रति एकड़ की दर से चार बार अगस्त से सितंबर तक खेत में छोड़ना चाहिए। ट्राइको कार्ड चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, उचानी मे उपलब्ध है।
सोका रोग की समस्या के निदान के लिए कार्बेन्डाजिम दवाई की सिफारिश के साथ ट्रायकोडरमा का प्रयोग करने के लिए भी कहा गया, जो कि सोका रोग की रोकथाम के लिए उपयोगी है। कार्बेन्डाजिम दवाई पौधों की जड़ों में मिट्टी के साथ मिलाकर डालें। जिन खेतों मे सोका रोग की समस्या ज्यादा है, वहां किसान कम से कम तीन साल का फसल चक्र अपनाएं व स्वस्थ बीज का प्रयोग करें।
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Karnal News: वैज्ञानिकों को गन्ने की फसल में मिले रोगों के लक्षण