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– एसडीएच के बावजूद डॉक्टरों के स्वीकृत पद नहीं बढ़ पाएं, मरीज परेशान
प्रवीण कुमार
इंद्री। उप-मंडल नागरिक अस्पताल (एसडीसीएच) इंद्री विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहा है। एसडीसीएच होने के बावजूद डॉक्टरों के 11 ही पद स्वीकृत हैं। इनमें से भी छह पद खाली हैं और पांच पर डॉक्टर कार्यरत हैं। ऐसा ही हाल एसडीसीएच के अंतर्गत आने वाली पीएचसी ब्याना, भादसो व खुखनी का है। तीनों में डॉक्टरों के छह पद स्वीकृत हैं और अभी फिलहाल सभी खाली हैं। ऐसे में यहां पर नर्सिंग या अन्य स्टाफ के सहारे मरीजों को इलाज मुहैया कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। – संवाद
रेफरल बना प्रसूति कक्ष
एसडीसीएच इंद्री में प्रसूति कक्ष की तो सुविधा मिली हुई है लेकिन यह भी अब रेफरल के तौर पर काम कर रहा है। पहले यहां पर स्त्री रोग विशेषज्ञ कार्यरत थी लेकिन उसका भी नागरिक अस्पताल करनाल ट्रांसफर कर दिया गया है। ऐसे में बिना डॉक्टर की देखरेख में सिर्फ सामान्य प्रसव कराया जा रहा है अन्य मरीजों को करनाल रेफर किया जा रहा है। जिससे क्षेत्र के मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा दवाओं का टोटा, एक्स-रे मशीन की सुविधा के बावजूद सिर्फ छाती के एक्स-रे ही यहां पर हो पाते हैं। अन्य एक्स-रे के लिए मरीजों को निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है।
नहीं मिली दवाई
सिविल अस्पताल में दवाई लेने आए रामगढ़ छानाे निवासी पर्व ने बताया कि वह बेटे के लिए दवाई लेने आया था। डॉक्टर से जांच करवाने के उपरांत काउंटर पर दवाई लेने गया। लेकिन काउंटर से एक भी दवाई नहीं मिली। ऐसे में डॉक्टर की लिखी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ेगी।
रिपोर्ट के आधार पर दी दवाई
डेरा हलवाना से दवाई लेने आई रानी देवी ने बताया कि कुछ दिन पूर्व डॉक्टर से मिले तो उन्होंने खून कम बताया था। इसके बाद बाहर से खून की जांच करवाई तो टाइफाइड निकला। अब डॉक्टर ने रिपोर्ट के आधार पर दवाई दी है।
दवाइयां हों उपलब्ध
रोशनी देवी ने बताया कि उसे शुगर, बीपी की बीमारी है। अस्पताल में दवाई लेने आई थी। काउंटर से कुछ ही दवाई मिल पाई। सैकड़ों रुपये की दवाई बाहर से खरीदनी पड़ी। सरकार को चाहिए कि अस्पताल में मरीजों के लिए सभी दवाइयां उपलब्ध करवाएं।
हड्डियों का डॉक्टर नहीं
वार्ड-8 निवासी जागीर सिंह का कहना है कि कुछ समय पूर्व उसकी पोती वैष्णवी को बुखार आया था। अब उसकी टांग में समस्या आ गई है। डॉक्टर ने बताया कि वैष्णवी को हड्डियों के डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा। लेकिन सिविल अस्पताल में हड्डियों का डॉक्टर नहीं है। अब करनाल जाना पड़ेगा। सरकार को अस्पताल में हड्डियों के डॉक्टर की व्यवस्था करनी चाहिए।
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Karnal News: विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहा उप-मंडल नागरिक अस्पताल