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करनाल। वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) बीमारी हो सकती है। ये जानकारी कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिनव डागर ने दी।
उन्हाेंने बताया कि विश्व सीओपीडी दिवस हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को मनाया जाता है। यह एक वर्ल्ड वाइड हेल्थ केयर प्रोग्राम है जिसका मुख्य उद्देश्य सीओपीडी के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों की एक सामान्य स्थिति है जो रिस्ट्रिक्टेड एयरफ्लो और सांस लेने में समस्याओं का कारण बनती है। यह तब होता है जब फेफड़े के एयर पाथ में सूजन आ जाती है या डैमेज हो जाती है। ये समस्या अक्सर स्मोकिंग करने या एयर पॉल्युशन वाली हवा में सांस लेने से होती है। सीओपीडी वाले लोगों को अक्सर सांस लेने में परेशानी, घरघराहट या पुरानी खांसी, बहुत कफ का बनना, सीने में जकड़न, थकान, बार-बार ब्रीदिंग इंफेक्शन होना, मेंटल अलर्टनेस से परेशानी, तेजी से दिल धड़कना, पैरों और टखनों में सूजन, वजन घटना, सायनोसिस जैसी समस्या होने लगती है। इसके अलावा सिंपल काम करने पर भी सांस फूलने लगती है। हालांकि सीओपीडी का कोई इलाज नहीं है, इसके लिए लाइफस्टाइल में बदलाव से आसानी से सांस लेने में मदद मिल सकती है। जिससे हेल्थ में सुधार हो सकता है।
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फेफड़ों के काम को जानें ये है थीम
डॉ. अभिनव डागर ने बताया कि विश्व सीओपीडी दिवस की इस बार की थीम है फेफड़ों के काम को जानें। जो स्पिरोमेट्री के महत्व को उजागर करता है। यह एक सिंपल टेस्ट है जो फेफड़ों के काम को मापता है। स्पिरोमेट्री न केवल क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का निदान करने में मदद करती है, बल्कि एक महत्वपूर्ण हेल्थ के रूप में भी काम करती है।
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सीओपीडी को ऐसे समझे।
डॉ. डागर ने बताया कि सीओपीडी दो प्रकार के होते है। दूसरा क्रोनिक ब्रोंकाइटिस। इसमें फेफड़े तक हवा ले जाने वाली ब्रोन्कियल नलियों की लंबे समय तक सूजन के कारण होता है। सूजन के कारण अधिक कफ बनता है, जिससे लगातार खांसी होती है और सांस लेने में तकलीफ होती है। क्रोनिक ब्रोंकाइटिस से पीड़ित लोगों को अक्सर गीली खांसी होती है और वे बार-बार लंग्स इंफेक्शन की चपेट में आ जाते हैं। पहला एंफेजीमा, इसमें फेफड़े में छोटी हवा थैली होती है जो ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करती हैं, तो वह काम करना बंद कर देती है। इसके साथ ही फेफड़े की ऑक्सीजन को एब्जार्ब करने की कैपेसिटी को कम कर देती है। जिससे सांस फूलने लगती है, खासकर शारीरिक गतिविधियों के दौरान। इस समस्या से पीड़ित लोगों को आराम करते समय भी सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
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ऐसे बचे
सीओपीडी से बचने के लिए कुछ उपाय कर सकते है। जिन्हें अपनाकर इस बीमारी से बच सकते हैं। जो व्यक्ति धूम्रपान करता है उसे छोड़ना चाहिए। स्मोकिंग छोड़ना कर सेकेंड हैंड धूम्रपान से बचें, वायु प्रदूषण के संपर्क में कम से कम आए, जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकले, फेस मास्क का प्रयोग करें, धूल, धुएं और हार्मफुल केमिकल वाली जगहों पर जाने से बचें, इनडोर जगहों पर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें, फिजिकली एक्टिव रहें और नियमित व्यायाम करें, हेल्दी फूड खाएं।
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Karnal News: लाइफस्टाइल में बदलाव से सुरक्षित रहेंगे फेफड़े