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विशु शर्मा

करनाल। घर के आंगन में चहचहाती गौरैया भला किसे अच्छी नहीं लगती। चीं-चीं कर फुर्र से उड़ जाने वाली छोटी-नन्ही गौरैया शुरुआत से ही मनुष्य की मित्र रही है। आज कंक्रीट के मकान व मोबाइल फोन की रेडिएशन, फसलों में कीटनाशकों के अधिक प्रयोग आदि के कारण जहां इनका अस्तित्व खत्म हो रहा है। वहीं जिले में सत्या फाउंडेशन नाम की एक ऐसी संस्था भी है जो इन विलुप्त होती चिड़ियों को आशियाना उपलब्ध करवा रही है।
शहर के सेक्टर 16 के पास स्थित श्याम नगर में संस्था की ओर से घरों के आगे लगाए गए 1500 घाेसलों में करीब ढाई हजार चिड़ियां रहती हैं। वहीं दूसरी ओर श्रीघंटाकर्ण तीर्थ पर संत पीयूष मुनि महाराज की प्रेरणा से दो बड़े पक्षी विहार बनाए गए हैं, जिसमें हजारों पक्षियों के रहने की व्यवस्था है। अब इस कॉलोनी को गौरेया एन्क्लेव के नाम से भी जाना जाने लगा हैं। यहीं नहीं सुबह उठते ही यहां के लोग सबसे पहले चिड़िया के लिए दाना व पानी रखते हैं उसे बाद ही अपनी दिनचर्या शुरू करते हैं। बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी इस अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं।
शुरुआत में जब 2016 में शहर में इस अभियान की शुरुआत हुई थी तो प्रशासन के बड़े अधिकारी व जिला वन अधिकारी को यहां पर थोड़े समय में ही चिड़िया का बसेरा होने की बात उनको हजम नहीं हुई। जब प्रशासन के अधिकारियों ने खुद आकर देखा कि वाकई श्याम नगर में बहुत ही संख्या में चिड़िया बसेरा देखा तो उन्होंने न सिर्फ इस कार्य को सराहा बल्कि प्रशासन के कर्मचारियों ने भी इस अभियान में सहयोग भी किया। अब संस्था की ओर से सीएचडी सिटी, शिवपुरी मॉडल टाउन, सेक्टर सात ट्रैफिक पार्क व हवेली में चिड़िया के लिए अशियाने स्थापित किए गए हैं।
यहां दिनभर चिड़िया की चीं-चीं की मधुर आवाज सुनाई देती है, जो एक सुखद अनुभव कराती है। शहर में सत्या फाउंडेशन नामक पक्षी प्रेमी संस्था के सदस्यों के अथक प्रयासों से यह संभव हो पाया है। संस्था के सदस्य नवीन कुमार ने बताया कि 2016 में बिजली का मीटर बदलने आए कर्मचारी ने एक चिड़िया के घोंसले को गिरा दिया, उस दौरान उसमें से चिड़िया के अंडे भी टूट गए। यह देख कर वह बहुत आहत हुए। तभी से संस्था के सभी सदस्यों ने एक संकल्प लिया और पूरे श्याम नगर में चिड़ियां के लिए अशियानें बनाए जाएंगे।
देखते ही देखते श्याम नगर कब गौरैया एन्क्लेव बन गया उन्हें भी नहीं पता चला। वसंत के मौसम में अतिरिक्त उपायुक्त यश जुलका ने इस जगह का दौरा किया और पतंगबाजी कर रहे बच्चों को चीनी डोर का उपयोग न करने की सलाह दी। अब समाज में गौरैया संरक्षण के लिए समाज का नजरिया बदला है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने संस्था के प्रयासों की सराहना करते हुए इस नेक कार्य में लगातार आगे बढ़ने की प्ररेणा दी है।
संस्था के सक्रिय सदस्यों में पिता व पुत्री मनोज और रिद्धि फोर, प्रमोद गुप्ता, पंकज नैन का सराहनीय योगदान रहता है। सत्या फाउंडेशन के संस्थापक संदीप नैन ने बताया कि शहर के बंदी पक्षियों को आजाद करवाना भी संस्था का मुख्य कार्य है। इस कार्य के लिए वह प्रयासरत है। अभी तक संस्थान के सदस्यों की ओर से 150 बंदी पंछियों को रिहा करवाया जा चुका है। उनका कहना है कि बंदी पंछियों को आजाद करान से जो सुकून मिलता है वह सुख की अनुभूति है। संवाद
जैन मंदिर में बनाए गए हैं दो बड़े पक्षी नीड़
इंद्री रोड पर श्री घंटाकर्ण तीर्थ जैन मंदिर में संत उपप्रवर्तक पीयूष मुनि महाराज की प्रेरणा से मंदिर के सामने ही दो बड़े पक्षी नीड़ (घोंसला) बनाए गए हैं। यहां पक्षियों को अनुकूल वातावरण भी दिया गया है, पानी और दाने की भी व्यवस्था की गई है। पक्षियों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो, इसके लिए सेवादार भी देखरेख करते हैं।
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Karnal News: यहां 1500 घाेसलों में रहती हैं सैकड़ाें गौरैया