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विशु शर्मा
करनाल। दशहरे पर श्री हनुमान स्वरूप की ओर से सोटा मारकर रावण के पुतले को क्षतिग्रस्त करने की अनोखी परंपरा है। इस परंपरा को श्री रामायण में उस घटना से जोड़कर देखा जाता है जब बजरंगबली ने रावण को मुक्का मारकर मूर्छित कर दिया था। इसी के चलते आज भी हनुमान स्वरूप विजयदशमी के दिन दशहरा मैदान में पहुंचते हैं और सोटा मारकर रावण को क्षतिग्रस्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि रावण पुतला घायल हो गया है।
उसके बाद वहीं श्री राम और रावण युद्ध लीला होती है और फिर श्री रावण के पुतले का दहन कर दिया जाता है। यह परंपरा यहां कई वर्षों से चलती आ रही है। करनाल में करीब नाै सभाएं ऐसी हैं, जो हनुमान स्वरूप सजाती हैं। दरअसल, हनुमान स्वरूप सजाने की यह परंपरा संयुक्त पाकिस्तान के लैय्या जिले में लगभग 1940 में शुरू हुई थी। वहां लैय्या बिरादरी के लोग एक व्यक्ति को वीर हनुमान के रूप में तैयार करते थे।
श्री महावीर सेवा दल के सेवक मांशु महाराज ने बताया कि इस हनुमान स्वरूप को धारण करने वाले व्यक्ति को चलिया यानी 40 दिन का कठोर व्रत करना पड़ता है। उसके बाद ही वह चार दिन तक हनुमान स्वरूप धारण कर सकता है। यह स्वरूप अष्टमी, नवमी, विजयदशमी व एकादशी तक धारण किया जाता है। उन्होंने बताया कि वे लोग जो विभिन्न मन्नतें मांगते हैं, वे मन्नतें पूरी होने से पहले या बाद में हनुमान स्वरूपों को अपने-अपने घरों में बुलाते हैं।
वहां हनुमान स्वरूप उनके घर में फेरा डालकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं। मांशु के अनुसार आज बहुत से युवा इस परंपरा से जुड़ रहे हैं और हनुमान स्वरूप बनने को बेताब रहते हैं। शनिवार को भी हनुमान स्वरूप सेक्टर चार दशहरा मैदान पहुंचकर परंपरानुसार रावण को सोटा मारकर घायल करेंगे, उसके बाद रावण दहन किया जाएगा। शुक्रवार को हनुमान स्वरूपों ने शहर के सेक्टर छह, सेक्टर चार व फूसगढ़ में विभिन्न लोगों के घर पहुंचकर वहां परिक्रमा की।
घरों में उनकी भव्य आरती करते हुए भजनों पर भक्तजन खूब झूमे। इस दाैरान आतिशबाजी भी की गई। ऐसा माना जाता है कि वहां आतिशबाजी इसलिए की जाती है कि वहां नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाएं। उसके बाद हनुमान स्वरूप विभिन्न घरों में परिक्रमा कर सभा स्थल पर लाैट आए। एकादशी तक इसी तरह यह हनुमान स्वरूप विभिन्न घरों में परिक्रमा करेंगे। संवाद
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Karnal News: पहले हनुमान जी मारते हैं पुतले को सोटा फिर होता है रावण दहन