– रोजाना 15 से 20 लोग एसडीएच में टीका लगवाने पहुंच रहे
गौतम जोशी
नीलोखेड़ी। उप-मंडल नागरिक अस्पताल नीलोखेड़ी में एक माह से एंटी रेबीज वैक्सीन खत्म है। इसके चलते कुत्तों और बंदरों के काटने से घायल हुए लोगों को बाहर से इंजेक्शन महंगे दामों पर खरीदने पड़ रहे हैं।
प्रतिदिन कुत्तों व बंदरों के काटने के 20 से 25 के करीब लोग इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन चिकित्सक तो इंजेक्शन लगवाने के लिए ओपीडी पर्ची पर लिख रहे हैं, लेकिन जब इंजेक्शन रूम में जाते हैं तो वहां पर तैनात स्टाफ एंटी रैबीज इंजेक्शन खत्म होने की बात कहकर लौटा रहे हैं। गर्मी के मौसम में कुत्ते हिंसक होने लगे हैं। जहां पर गलियों में घूमने वाले कुत्ते बच्चों और बुजुर्गों को काट रहे हैं।
वहीं देखने में आ रहा है उप-मंडल नागरिक अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने वाले अधिकतर लोग घरों के पालतू कुत्तों के काटने से आ रहे हैं। विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में प्रत्येक माह 1500 से 1600 लोगों को एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगवाने के लिए आ रहे हैं। गलियों में घूमने वाले कुत्ते मोटरसाइकिल व साइकिल सवार लोगों का पीछा करते हैं। आंकड़ों की ओर देखें तो पिछले माह कुत्ते काटने के 83, बंदर काटने के 16, चूहे के काटने के तीन, बिल्ली के काटने का एक केस सामने आया है। संवाद
बाहर लगवाना पड़ा इंजेक्शन
रविंद्र कत्याल ने बताया कि उसके परिजन को कुत्ते ने काट लिया था। इसके बाद वह सरकारी अस्पताल में एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाने आया था, लेकिन पता चला कि इंजेक्शन खत्म हैं। इसके बाद वह बाहर से इंजेक्शन खरीद कर लाया और इंजेक्शन को भी बाहर से लगवाना पड़ा। निजी अस्पतालों में यह इंजेक्शन 300 से 500 रुपये का लगता है, जबकि सरकारी में इसके लिए 100 रुपये की पर्ची कटवानी पड़ती है।
स्वास्थ्य विभाग नहीं सतर्क
पारस जोशी ने बताया कि एआरवी लगवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग सतर्क नहीं है क्योंकि सरकारी अस्पताल रोजाना केस आने के बाद भी एआरवी के टीके उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में विभाग को चाहिए कि प्राथमिकता के आधार पर उचित कार्यवाही करें।
घर में घुसा बंदर, मचाया उत्पात
दुकानदार हुकुम चंद ने बताया कि पिछले दिनों बंदर उनके घर में घुस गया और रसोई में रखा समान उठाकर फेंकने लगा। कई खाद्य पदार्थ के डिब्बों को जमीन पर पटक दिया। इस दौरान उसने उसकी पत्नी व बच्चों पर हमला कर दिया। इसके बाद जब वह अस्पताल पहुंचा तो वहां पर एआरवी का टीका ही उपलब्ध नहीं था।
नपा सचिव अजीत कुमार ने बताया कि बंदर पकड़ने की टीम दो बार आ चुकी है। लेकिन पूरा शहर घूमने के बाद भी कोई बंदर नहीं मिला। यही नहीं बंदरों के संदर्भ में शिकायत करने वाले व्यक्तियों से भी संपर्क कर बंदरों के छिपे होने के स्थान के बारे पूछा लेकिन कोई भी बंदर नहीं मिला। जिससे टीम को बुलाने और अन्य व्यवस्था करने में नपा का हजारों रुपए का खर्च हो चुका है। वहीं बेसहारा पशुओं को पकड़ने का अभियान निरंतर चलाया जाता है।
– अजीत कुमार, सचिव, नगर पालिका, नीलोखेड़ी
रेबीज के इंजेक्शन की कमी को लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द एंटी रेबीज वैक्सीन अस्पताल में उपलब्ध हो जाए।
– डॉ. वंदना अग्रवाल, एसएमओ, एसडीएच, नीलोखेड़ी
Karnal News: नीलोखेड़ी अस्पताल में एंटी रेबीज टीका एक माह से खत्म, मरीज परेशान