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– करनाल, घरौंडा, इंद्री, नीलोखेड़ी में मुख्य पार्टियों में सिमटी लड़ाई, असंध में तीन प्रत्याशियों के बीच दिख रही सियासी जंग
देव शर्मा
करनाल। मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, चुनावी शोरगुल थम चुका है। सभी प्रत्याशियों ने मतदाताओं को रिझाने का पूरा प्रयास किया। भले ही चुनाव विकास के मुद्दों पर लड़ा गया हो लेकिन अब अंतिम दौर में जातीय समीकरण भी हावी होते लग रहे हैं। इसलिए लड़ाई मुख्य पार्टियों के इर्दगिर्द सिमटती जा रही है। अधिकतर मतदाता खामोश रहे इसके बावजूद अब तक जो धुंधली तस्वीर उभर रही है, उससे लगता है कि जिले की पांच सीटों में करनाल, घरौंडा, इंद्री, नीलोखेड़ी में भाजपा और कांग्रेस के बीच आमने-सामने की टक्कर हो सकती है, वहीं असंध विधान सभा क्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणीय बनता दिख रहा है।
करनाल सीट की बात करें तो यहां से जीतने वाले दो विधायक 10 सालों तक मुख्यमंत्री रहे हैं। इसलिए भाजपा की साख भी इस सीट से जुड़ी है। भाजपा से जगमोहन आनंद मैदान में पूरा जोर लगा रहे हैं तो कांग्रेस से पूर्व विधायक सुमिता सिंह भी जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। यहां बिरादरियों के समीकरण हावी देखे जा रहे हैं। जगमोहन आनंद के समर्थन में कल ही पंजाबी सम्मेलन बुलाया गया था, जिसमें मनोहर लाल ने भावुक अपील भी की थी, वहीं कांग्रेस भी पहले पंजाबी सम्मेलन बुला चुकी है। यहां भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने रूठों को मना लिया है। यहां सीधे तौर पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर देखी जा रही है।
घरौंडा सीट की बात करें तो समीकरण यहां भी बिरादरियों के हवाले हैं, सभी प्रत्याशियों ने अपनी बिरादरियों को अपने पक्ष में लाने के लिए सम्मेलन व सभाएं की हैं, जिनमें बिरादरियों के बड़े नेता भी सभाएं कर चुके हैं। प्रत्याशी शक्ति प्रदर्शन भी कर चुके हैं। अब जब मतदान को सिर्फ एक दिन शेष है तो भी साइलेंट वोटर चुप्पी नहीं तोड़ रहा है लेकिन माहौल देखकर यहां भी लगता है कि मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही हो सकता है। यहां भाजपा प्रत्याशी हरविंद्र कल्याण पिछले दो चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाने की फिराक में हैं, तो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र राठौर भी पूरी ताकत झोंके हुए हैं।
इंद्री सीट भी पहले से भाजपा के पास है, यहां के विधायक रहे राम कुमार कश्यप इस बार फिर भाजपा के टिकट पर चुनावी अखाड़े में हैं, वहीं कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक राकेश कांबोज को उतारा है। बिरादरियों के समीकरण यहां भी हावी दिखाई दे रहे हैं। कश्यप और कांबोज मतदाताओं की यहां अच्छी खासी संख्या है। इस सीट पर सिर्फ छह प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, सभी जीत के लिए मेहनत भी कर रहे हैं लेकिन ऊपरी तौर पर जो माहौल दिख रहा है, उससे यहां भी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर जैसा ही दिख रहा है। हालांकि बसपा-इनेलो व आप और जजपा-असपा प्रत्याशी भी मुकाबले को रोचक बनाते दिख रहे हैं।
नीलोखेड़ी विधान सभा क्षेत्र इस बार काफी चर्चा में रही है। यहां के निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर जो साढ़े चार साल तक हरियाणा की भाजपा सरकार के समर्थन में रहे लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पारी बदल ली और कांग्रेस से हाथ मिला लिया। इतना ही नहीं, वह कांग्रेस से टिकट भी ले आए और चुनाव मैदान में हैं, हालांकि यहां के स्थानीय कांग्रेसी नेताओं में बगावत भी खूब हुई, नामांकन भी कराया, कुछ ने समर्थन दे दिया, कुछ अभी मैदान भी डटे हैं। यहां भाजपा ने अपने पूर्व विधायक भगवान दास कबीरपंथी को उतारा है, जो पिछले पांच सालों से क्षेत्र में रहकर लगातार कार्य करते रहे। कुल मिलाकर मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है। भले ही यहां बसपा-इनेलो और आप के प्रत्याशी मुकाबले को रोचक बनाने में जुटे हैं लेकिन सीधी मुकाबला यहां भी भाजपा व कांग्रेस में ही नजर आ रहा है।
असंध सीट पर मुकाबला बेहद रोचक है। यहां भाजपा को भी बगावत झेलनी पड़ी है। यहां भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बसपा-इनेलो के बड़े नेता रैली कर चुके हैं। भाजपा प्रत्याशी योगेंद्र राणा ने जहां अपनी ताकत झोंकी है, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी शमशेर सिंह गोगी दूसरी बार मैदान में ताकत झोंकने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। वहीं, यहां पिछले दो चुनावों में कम अंतर से जीत से दूर रहने वाले बसपा-इनेलो के प्रत्याशी गोपाल राणा ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। उन्होंने भी चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है, जिससे जिले की इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय दिखाई दे रहा है, हालांकि निर्दलीय प्रत्याशी जिलेराम शर्मा भी मुकाबला चतुष्कोणीय बनाने को पूरी ताकत लगा रहे हैं।
मनोहर लाल की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है चुनाव
पिछली बार जिले में भाजपा के पास घरौंडा, इंद्री और करनाल सीट थी। नीलोखेड़ी में निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे लेकिन असंध की सीट कांग्रेस के पास थी। इस बार समीकरणों में काफी बदलाव है। यह कहना मुश्किल है कि कौन सी सीट किस पार्टी या निर्दलीय के खाते में जाएगी लेकिन इतना जरूर है कि सभी सीटों पर इस बार मुकाबला काफी कड़ा नजर आ रहा है। करनाल संसदीय सीट से केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल सांसद तो करनाल विधान सभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व मनोहर लाल दोनों की विधायक रह चुके हैं, इसलिए यहां की सीटें सीधे दोनों नेताओं की प्रतिष्ठा से भी जुड़ी है। नायब सिंह सैनी तो खुद लाडवा से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन मनोहर लाल ने दो दिन पहले से ही जिले में डेरा डाल दिया है, वह संसदीय क्षेत्र की सभी नौ सीटों पर नजर बनाए हुए हैं।
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Karnal News: चार सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में तो एक पर त्रिकोणीय मुकाबला संभव