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करनाल। अब स्कूल के समय में शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करेंगे न ही उनकी ड्यूटी लगेगी। केवल स्कूल में उपस्थित रहते हुए शैक्षणिक कार्य करेंगे। कक्षाओं में विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे। परीक्षाओं से पहले राजकीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए शिक्षा निदेशालय ने यह निर्णय लिया है। सभी शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त कर दिया है। केवल जनगणना, आपदा प्रबंधन और चुनाव जैसे विशेष वैधानिक कार्य में ही छूट रहेगी।
निदेशालय का कहना है कि विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता बढ़ाने और कक्षाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए यह निर्णय अत्यंत आवश्यक था। यह आदेश नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 की अनुपालना तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया करवाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के अनुरूप जारी किए गए हैं। निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, मौलिक शिक्षा अधिकारियों, परियोजना समन्वयकों और खंड शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों से किसी भी प्रकार का गैर-शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जाए। किसी भी प्रकार का प्रशासनिक, कार्यालयी या सामाजिक कार्य शिक्षकों को सौंपना गलत माना जाएगा। इसलिए निदेशालय में सभी अधिकारियों को अधिनियम के एक्ट का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए है।
कक्षाएं नहीं होंगी प्रभावित, तैयारी करते दिखेंगे छात्र
शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाए जाने से उनकी कक्षा में उपस्थिति प्रभावित हो रही थी, जिसका असर परीक्षा परिणामों और सीखने के स्तर पर साफ दिखाई दे रहा था। निदेशालय का मानना है कि शिक्षकों को पूरी तरह से अध्यापन कार्य के लिए उपलब्ध कराने से विद्यालयों में पढ़ाई की निरंतरता बनी रहेगी, विद्यार्थियों की प्रगति में सुधार होगा और वार्षिक परीक्षाओं के बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। निदेशालय ने दोहराया है कि अध्यापन ही शिक्षक का प्राथमिक कार्य है और इसे किसी भी अन्य कार्य से प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
शिक्षकों को तत्काल विद्यालय बुलाने के आदेश
जारी आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि कई शिक्षक लंबे समय से निर्वाचन कार्यालयों, उपमंडल स्तर के कार्यालयों तथा अन्य विभागों में तैनात थे, जिससे विद्यालयों में शिक्षकों की कमी महसूस की जा रही थी। आगामी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए ऐसे सभी शिक्षकों को तुरंत विद्यालय में रिपोर्ट करने के निर्देश दिए गए हैं। निदेशालय ने आदेश दिए हैं कि जो शिक्षक अन्य विभागों या कार्यालयों में तैनात हैं, उन्हें तुरंत विद्यालय वापस बुलाया जाए। किसी भी कार्यालय में शिक्षक की गैर-शैक्षणिक ड्यूटी लगाने से पहले निदेशालय से लिखित अनुमति लेना अब अनिवार्य होगा। यदि कोई कार्य अत्यंत आवश्यक श्रेणी में आता है तो उसकी विस्तृत रिपोर्ट निदेशालय को भेजनी होगी।
विद्यालय समय में केवल वर्चुअल बैठक ही होगी
निदेशालय ने साफ किया है कि विद्यालय समय में बैठकें आयोजित नहीं की जाएंगी, आवश्यकता पड़ने पर वर्चुअल बैठकें की जा सकती हैं। आदेशों का पालन न करने पर संबंधित कर्मचारियों का वेतन रोकने जैसी कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी। सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को शीघ्र अपने विद्यालयों में उपस्थित होकर आगामी परीक्षाओं की तैयारी में जुटने के निर्देश दिए गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षक और विद्यार्थी दोनों की नियमित उपस्थिति को अनिवार्य बताया गया है।
निदेशालय की ओर से शिक्षकों को तुरंत सभी गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने और भविष्य में ऐसी ड्यूटी लगाने से पूर्व अनुमति लेने के आदेश जारी किए गए हैं। – ज्योत्सना मिश्रा, जिला शिक्षा अधिकारी
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Karnal News: गैर शैक्षणिक कार्यों से छुट्टी.. अब केवल विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे गुरुजी


