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करनाल। विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने यूपीएस योजना के खिलाफ कर्मचारी संगठनों ने ताल ठोक दी है। सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान सुशील गुर्जर ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की गई। उनका कहना है कि यूपीएस को कर्मचारियों के साथ धोखा बताया है।
उन्होंने बताया कि ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंप्लाइज फेडरेशन ने इसके खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन किए। फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा भी यूपीएस की बजाय सरकार से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे है। कर्मचारियों की मांग पीएफ आरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली कर राज्य कर्मचारियों का पीएफआरडीए में जमा अंशदान को वापस करने और एप्स 95 के लाभार्थियों को भी शामिल करने की बात कही जा रही है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने यूपीएस की घोषणा करके चुनावी लाभ देने का प्रयास किया है लेकिन इसमें सफलता नहीं मिलेगी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने यूपीएस स्कीम में सरकार के अंशदान बढ़कर 18.5 प्रतिशत कर दिया है। इसके अलावा मूल वेतन व डीए की 10 प्रतिशत राशि कर्मचारियों की हर महा कटौती होगी। कर्मचारियों के मूल वेतन जमा डीए की राशि का 28.5 प्रतिशत राशि 25 साल तक सेक्टर को मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि इतने खर्चे से कम खर्चे में पुरानी पेंशन बहाल की जा सकती थी और साथ ही जीएफ की राशि को सरकार विकास कार्यों में खर्च भी कर सकती है। जीएफ की राशि पर सरकार का नियंत्रण रहता है और यूपीएस की 28.5 प्रतिशत राशि पर सरकार की बजाय कॉर्पोरेट का नियंत्रण होता है। कर्मचारियों का कहना है कि कि सरकार को कर्मियों के बुढ़ापे की चिंता नहीं है।
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Karnal News: एनपीएस को यूपीएस में शामिल करने से कर्मचारियों में रोष

