[ad_1]
देव शर्मा
करनाल। यूं को सिंधु नदी क्षेत्र के किनारे से भारतीय हिस्सों में आए खासकर मुल्तानी समाज के लोग सावन में नदी के किनारे दीपक जलाने की परंपरा का सैकड़ों सालों से निर्वहन कर रहे। मनवांछित फल देने वाली कुल देवी गंगा को जोत समर्पित करने की परंपरा को अब 114 साल हो गए हैं।
इस बार मुल्तानी समाज से जुड़े लोग इस सप्ताह सावन ज्योत महोत्सव मना रहे हैं। इसके तहत करनाल में भी कल सावन ज्योत शोभायात्रा निकाली जाएगी। जिसमें मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी शामिल होंगे। इसके बाद रविवार को हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली व उत्तराखंड आदि राज्यों से ज्योत लेकर गंगा में प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार की हरि की पैड़ी पर पहुंचेंगे।
अखंड भारत के मुल्तान शहर (अब पाकिस्तान में) से 114 वर्ष पहले शुरू हुई कुल देवी गंगा को समर्पित ज्योत की परंपरा आजादी के बाद आजाद भारत में बदस्तूर जारी है। हालांकि सिंधु नदी क्षेत्र के सिरायकी मुल्तानी लोगों की सावन माह में नदियों के किनारे दीपक जलाने की परंपरा तो सैकड़ों वर्ष पुरानी है, जिसे खासकर मुल्तानी समाज के लोग आज भी निभा रहे है।
मुल्तानी समाज के विशेषज्ञ डॉ. जोगिंद्र मदान बताते है कि अखंड भारत में वह क्षेत्र जो अब पाकिस्तान में आता है में सिंधु, चिराव, झेलम, राबी आदि नदियों के आसपास बसा था, वहां के लोगों में सावन के महीने में हर रोज प्रत्येक घर से महिलाओं द्वारा निकटस्थ नदी तट पानी के किनारे शाम को दीपक जलाने की परंपरा थी।
सुबह देखने पर यदि दीपक पानी में डूबे मिलते थे, जो ये पता लग जाता था कि नदी का पानी बढ़ रहा है, कितनी तेजी से जल बढ़ रहा है, इससे बाढ़ आदि के खतरे का अंदाजा लगाते थे। इसी हिसाब से सुरक्षा के इंतजाम करते थे। आजादी के बाद अब जो मुल्तानी क्षेत्र के लोग करनाल आदि में आकर बसे तो उन घरों की महिलाएं आज भी पश्चिमी यमुना नहर में दीपक जलाती हैं।
इसी परंपरा के बीच 114 साल पहले एक और परंपरा शुरू हुई, जब मुल्तान शहर के भगत रूपचंद्र ने अपनी कुलदेवी गंगा से संतान की कामना की। इसके बाद उसके घर बेटी जन्मी तो उसने मुल्तान शहर में अपने घर गंगा मां के नाम ज्योत जलाई, जिसे गंगा में प्रवाहित करने के लिए वह पैदल ही मुल्तान से हरिद्वार ज्योत लेकर आया और हरि की पैड़ी पर विसर्जन किया।
सावन ज्योत की परंपरा कायम : प्रो. मदान
भारतीय मुल्तानी परिमंडल महासभा के प्रधान प्रो. जोगिंद्र मदान के अनुसार देश आजाद हुआ तो मुल्तानी क्षेत्र के लोग हरियाणा, दिल्ली सहित कई राज्यों में बसे लेकिन सावन ज्योत की ये परंपरा आज भी चल रही है। सावन माह के अंतिम रविवार को बड़ी ज्योत हरिद्वार में गंगा मैया में विसर्जित करते हैं। इससे पहले सप्ताहभर स्थानीय स्तर पर कई तरह के कार्यक्रम जैसे राधा चौकी, शोभायात्राएं आदि निकाली जाती है। करनाल जिले में करनाल, घरौंडा, इंद्री, तरावड़ी से जोत जोत जाएगी। वहां 11 अगस्त की शाम को मुल्तानी भाषा में राधा रानी की चौकी का कार्यक्रम होगा, जिसमें बहन उर्मिला व श्याम सुंदर चुटानी भजन प्रस्तुत करेंगे।
सीएम आज करेंगे शोभायात्रा का शुभारंभ
सावन जोत सभा के प्रधान किशोर नागपाल ने बताया कि करनाल में सभा की ओर से 26 सालों से शोभायात्रा निकाली जा रही है। शनिवार को शोभायात्रा का शुभारंभ मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी शाम 5.30 बजे सनातन धर्म मंदिर कुंजपुरा रोड से करेंगे। शहर के विभिन्न स्थानों से होती हुई शोभायात्रा सेवा समिति आश्रम अर्जुन गेट पर विश्राम लेगी। शहरी स्थानीय निकाय मंत्री सुभाष सुधा कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। ब्रह्मचारी भोलानंद महाराज (वृंदावन वाले) के सानिध्य में कार्यक्रम होगा। शहर को सजाया गया है, जगह जगह रंगबिरंगे द्वार बनाए गए हैं। जगह-जगह शनिवार को लंगर की व्यवस्था भी होगी।
[ad_2]
Karnal News: कुल देवी गंगा को 114 वर्षों से ज्योत कर रहे समर्पित