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Karnal News: अधर में 38.50 करोड़ की स्काडा परियोजना Latest Karnal News


– अप्रैल में होनी थी पूरी, अधिकारियों की लापरवाही से लटकी, सुविधा से वंचित शहरवासी

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माई सिटी रिपोर्टर

करनाल। करीब 38.50 करोड़ रुपये की स्काडा परियोजना का कार्य अधर में है। ये परियोजना अप्रैल महीने में पूरी होनी थी। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद नलकूप स्वचालित तरीके से ऑन-ऑफ हो सकेंगे। वहीं शहर में क्षेत्र अनुसार पानी की पर्याप्त उपलब्धता के साथ-साथ पाइप लाइनों की लीकेज और उसका समाधान सुनिश्चित होगा।

शहर में वर्तमान समय में पेयजल आपूर्ति के नेटवर्क के तहत अलग-अलग स्थलों पर 182 नलकूप, तीन बूस्टर स्टेशन, चार ओवरहेड टैंक हैं। स्काडा परियोजना के तहत योकोगावा इंडिया लिमिटेड एजेंसी इन सभी पर उपकरण स्थापित करने का काम कर रही है। इसके बाद इनके कनेक्शन किए जाएंगे। स्काडा परियोजना का काम पूरा होने के बाद इसे एकीकृत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) से जोड़े जाने की योजना है। जिससे एक ही स्थान से रियल टाइम डाटा एकत्र होगा। उपकरणों की निगरानी और उन पर नियंत्रण भी एक ही स्थान से होगा। कार्य पूरा करने के बाद करीब पांच साल तक एजेंसी की ओर से ही सभी उपकरणों का संचालन एवं रख-रखाव करने की शर्त भी शामिल की गई है।

स्काडा परियोजना के अंतर्गत नलकूप, बूस्टर स्टेशन तथा ओवरहेड टैंक पर प्रेशर ट्रांसमीटर, सेंसर, एनालाइजर आदि विभिन्न प्रकार के उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही जीपीआरएस मॉडम, जंक्शन बॉक्स, लेवल ट्रांसमीटर, सॉफ्ट स्टार्टर, सीसीटीवी तथा नेटवर्किंग आदि की जा रही है। नगर निगम के अधिकारी ने बताया कि स्काडा परियोजना का कार्य लगभग पूर्ण होने वाला है। शीघ्र ही इसे सुचारू करके कनेक्शन देने का कार्य शुरू किया जाएगा।

क्या है स्काडा

पर्यवेक्षी नियंत्रण और डाटा अधिग्रहण (स्काडा) सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दोनों तत्वों की एक केंद्रीकृत प्रणाली है, जो पूरे क्षेत्र की निगरानी और नियंत्रण करती है। पर्यवेक्षी प्रणाली प्रक्रिया से डाटा एकत्र होता है और कमांड नियंत्रण को भेजा जाता है। यह डाटा, सिस्टम से जुड़े सेंसर, नेटवर्क और उपकरणों से प्राप्त होता है। सेंसर, गति, प्रवाह और दबाव जैसे मापदंडों को मापते हैं।

इस सुविधा से शहर में क्षेत्र अनुसार पानी की पर्याप्त उपलब्धता के साथ-साथ पाइप लाइनों की लीकेज और उसका समाधान सुनिश्चित होगा। नलकूप ऑटोमेटिक सिस्टम से ऑन-ऑफ होंगे। पेयजल में क्लोरीन की संतुलित मात्रा मौजूद रहेगी, जिससे इसकी शुद्धता बनी रहेगी। स्काडा एप्लीकेशन के जरिए पूरे सिस्टम पर ऑनलाइन नियंत्रण रहेगा।


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