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11जेएनडी31: अमर उजाला के संवाद कार्यक्रम में मौजूद किसान। संवाद – फोटो : संवाद
जींद। प्राकृतिक खेती पर अमर उजाला का संवाद कार्यक्रम मंगलवार को हमेटी में आयोजित हुआ। इसमें किसानों को डॉ. भरत सिंह घनघस सहायक वैज्ञानिक विस्तार शिक्षा संस्थान नीलोखेड़ी व डॉ. सुभाषचंद्र प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण सलाहकार ने प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभ के बारे में जागरूक किया।
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इसमें डॉ. सुभाष चंद्र ने किसानों को प्राकृतिक खेती शुरू करने के लिए जीवामृत तैयार करने का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने किसानों को बताया कि जीवामृत तैयार करने के लिए 10 किलोग्राम देसी गाय का गोबर, पांच किलो गाय का पेशाब, 2.5 किलो गुड़, एक किलो बेसन और 500 ग्राम पुराने बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी लेकर, इन सब को 200 लीटर पानी के ड्रम में घोल बनाकर छाया में ढककर रखना है। 10 दिन तक सुबह शाम लकड़ी की छड़ी के साथ घड़ी की सुई की तरह ड्रम में घोल को हिलाना है। इस प्रकार 10 दिन बाद यह 200 लीटर जीवामृत का घोल एक एकड़ के लिए तैयार हो जाता है। इसको खेत में छिड़काव विधि से भी डाल सकते हैं। डॉ. भरत सिंह घनघस ने किसानों को बताया कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देसी गाय पर 25 हजार रुपये और घोल बनाने के लिए ड्रम के लिए तीन हजार रुपये अलग से अनुदान दे रही है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के बारे में किसानों को अवगत कराया। उनको बताया गया कि ईकेवाईसी, भूमि सत्यापन और बैंक की ओर से डीबीटी अनिवार्य कर दिया गया है। अगर यह नहीं करवाया है तो अगली किस्त नहीं आएगी। यदि किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्योरा का पंजीकरण नहीं करवाया है तो वह कृषि से संबंधित स्कीम से वंचित रह जाएगा। इसके अलावा बायोगैस प्लांट के बारे में किसानों को बताया। उन्होंने बताया कि अगर बायोगैस की खाद का इस्तेमाल करते हैं तो खेत में खरपतवार और दीमक की समस्या नहीं आती है।
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रासायनिक खाद के बताए नुकसान
इस दौरान उन्होंने रसायनिक खाद के नुकसान बताते हुए कहा कि किसान अधिक मुनाफा कमाने के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं। रसायनिक खाद के प्रयोग से न केवल खेतों की उर्वरा शक्ति बर्बाद हो रही है, बल्कि खेत बंजर होने लगे हैं। रासायनिक खाद के प्रयोग से मानव शरीर को भारी नुकसान हो रहा है। सब्जी फसल में रसायनिक खाद के अधिक प्रयोग से मानव रोजाना जहर खा रहे हैं। जो थोड़ी दिनों के बाद मानव शरीर में नजर आने लगेगा।
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कृषि विभाग ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए चलाई योजनाएं
कृषि विभाग प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का संचालन कर रहा है। प्राकृतिक खेती में किसान खेतों में गोबर खाद, केंचुआ खाद से लेकर गोमूत्र से खाद बना सकते हैं। इस खाद के प्रयोग से जहां फसल का उत्पादन बेहतर होगा। साथ ही खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और सब्जी स्वादिष्ट व विटामिन युक्त होगी, प्राकृतिक तरीके से तैयार खाद के प्रयोग से उत्पादित सब्जी के सेवन से मानव शरीर को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा।
11जेएनडी31: अमर उजाला के संवाद कार्यक्रम में मौजूद किसान। संवाद– फोटो : संवाद