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01जेएनडी30: ट्राली में विश्राम करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल। संवाद
नरवाना (जींद)। खनौरी बॉर्डर किसान मोर्चे पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 68वें दिन भी जारी रहा। मोर्चे पर डल्लेवाल के स्वास्थ की विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम देखरेख कर रही है। चिकित्सकों ने बताया, शुक्रवार सुबह से जगजीत सिंह डल्लेवाल के कान में काफी दर्द हो रहा है।
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वहीं, किसान नेता अभिमन्यु कोहाड, काका सिंह कोटड़ा ने कहा कि किसानों की प्रमुख मांग एमएसपी गारंटी कानून है और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) एवं किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में लगभग एक साल से चल रहे आंदोलन के दौरान हालिया समय में जगजीत सिंह डल्लेवाल का सत्याग्रह पिछले 68 दिनों से चल रहा है। इसे पूरे देश में समर्थन मिल रहा है, इस आंदोलन की सबसे प्रमुख मांग भी एमएसपी गारंटी कानून है, लेकिन उसके बावजूद बजट में एमएसपी गारंटी कानून के विषय में केंद्र सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया जबकि देश में किसानों की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन पूरे बजट (50,65,345 करोड़ रुपये) में से मात्र (1,71, 437 करोड़ रुपये) कृषि क्षेत्र को दिया गया, जो मात्र 3.38 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कह रही है कि वह अगले चार वर्षों तक तुअर, उड़द व मसूर की फसलें नाफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से एमएसपी पर खरीदेगी। इससे देश दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा, लेकिन वह केंद्र सरकार से पूछना चाहते हैं कि यदि सरकार दलहन व तिलहन में देश को सच में आत्मनिर्भर बनाना चाहती है तो दलहन व तिलहन की सभी फसलों को एमएसपी गारंटी कानून के दायरे में क्यों नहीं ला रही है। चार साल तक की खरीद की लिमिट क्यों लगाई जा रही है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष 1, 41, 000 करोड़ रुपये से अधिक के खाद्यान्न तेल एवं 31,170 करोड़ रुपये से अधिक की दालों का आयात किया। यदि खाद्यान तेल एवं दालों के आयात के लिए खर्च किया गया 1,72,170 करोड़ रुपये अपने देश के किसानों को दिया जाए तो एमएसपी गारंटी कानून भी बन जाए। कृषि उत्पादों के मामले में देश आत्मनिर्भर भी बन जाए व फसलों का विविधिकरण भी हो जाए। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग है कि उन्हें कर्जमुक्त किया जाए व स्वामीनाथन आयोग के C2+50 प्रतिशत फॉर्मूले के अनुसार फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए, ताकि किसानों को भविष्य में कर्ज लेने की जरूरत ही न पड़े।