‘IOA अध्यक्ष पद पर बने रहना अदालत की अवमानना…’ नरिंदर बत्रा के दावे को अधिकारी ने किया खारिज


नई दिल्ली. भारतीय ओलंपिक संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल खन्ना ने गुरुवार को नरिंदर बत्रा के इस दावे को साफ तौर पर खारिज किया कि वह अब भी आईओए के अध्यक्ष हैं. खन्ना ने कहा कि पद पर उनका बने रहना अदालत की अवमानना होगा. दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा हॉकी इंडिया में ‘आजीवन सदस्य’ का पद खत्म किए जाने के बाद वरिष्ठ खेल प्रशासक बत्रा को आईओए अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. बत्रा ने हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य के रूप में ही 2017 में आईओए अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और जीता था. खन्ना अब अदालत के फैसले के बाद कार्यवाहक अध्यक्ष हैं.

नरिंदर बत्रा ने कहा, ‘मैंने एफआईएच या आईओए अध्यक्ष पद का चुनाव ऐसे किसी पद पर रहने के कारण नहीं जीता जो माननीय हाई कोर्ट ने खत्म कर दिया है. मैं अब भी आईओए का अध्यक्ष हूं और ताजा चुनाव होने तक रहूंगा.’ खन्ना ने हालांकि इस दावे को खारिज करते हुए कहा, ‘दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशानुसार आईओए अध्यक्ष के रूप में बत्रा का कार्यकाल 25 मई 2022 को तुरंत प्रभाव से खत्म हो गया है.’

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उन्होंने सदस्यों को लिखे ईमेल में कहा, ‘सदस्यों को बत्रा के वॉट्सएप मैसेज में किया गया यह दावा भी गलत है कि वह हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य होने के नाते आईओए अध्यक्ष पद पर काबिज नहीं हुए थे. आईओए संविधान और चुनाव के नियमों के अनुसार, मतदान करने वाली हर ईकाई द्वारा नामित प्रतिनिधि का नाम ऐसी ईकाइयों के कार्यकारी निकाय के सदस्य के रूप में मतदाता सूची में होना चाहिए. बत्रा का नाम 2017 की सूची में सीरियल नंबर 43 पर है.’

खन्ना ने कहा कि बत्रा हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य के रूप में इस सूची में शामिल हुए और अब अदालत के आदेश के बाद वह आईओए अध्यक्ष नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘2017 में बत्रा हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नहीं थे और उसकी कार्यकारी समिति के सदस्य भी नहीं थे. वह हॉकी इंडिया के संविधान के पैरा 2.1.1.3 के तहत हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य थे और उसी के आधार पर भारतीय ओलंपिक संघ की मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज हुआ.’

उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश में साफ है कि आजीवन सदस्य के अवैध पद के जरिए कोई राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय संस्था में पद नहीं ले सकता. उन्होंने कहा, ‘यह निर्णायक समय है कि आईओए माननीय उच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप , देश के कानून और राष्ट्रीय खेल कोड के अनुसार काम करना शुरू करे. अदालत के फैसले और आईओए के संविधान को चुनौती देता बत्रा का दावा अदालत की अवमानना है.’ आईओए के एक सूत्र ने बताया कि अगर बत्रा इस बात को स्वीकार नहीं कर लेते कि वह अब आईओए अध्यक्ष नहीं है तो आईओए में से किसी को अदालत की शरण लेकर इस फैसले पर अमल कराना होगा.

Tags: Indian Olympic Association, IOA President, Narinder Batra, Sports news

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