INLD की रैली विपक्षी एकता का आह्वान, ममता-केसीआर और अखिलेश की दूरी किस ओर कर रही इशारा?


फतेहाबाद: हरियाणा के फतेहाबाद में रविवार को इनेलो पार्टी की ओर से रैली का आयोजन किया। रैली का आयोजन पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल की जयंती पर किया गया था। रैली के पीछे का मकसद गैर-बीजेपी चेहरों के लिए राजनैतिक जमीन तैयार करना रहा। एक ओर जहां इस रैली में बिहार के सीएम नीतीश कुमार(Nitish Kumar) समेत शरद पवार (Sharad Pawar) और सुखबीर सिंह बादल जैसे चेहरे नजर आए तो वहीं दूसरी ओर कई पार्टियां इससे नदारद रहीं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हमारी तलाश किसी तीसरे मोर्चे की नहीं बल्कि भाजपा के खिलाफ एकजुट सभी दलों के पारस्परिक रूप से लाभकारी गठबंधन की है। वहीं इस मंच से उन्होंने प्रस्तावित गठबंधन में शामिल होने के लिए कांग्रेस को भी आमंत्रित किया।

रैली के दौरान देखने को मिला कि कुछ विपक्षी दल इस कार्यक्रम से किनारा करते नजर आए। दूसरों को 2024 की चुनावी चुनौती के लिए रामबाण के रूप में “महागठबंधन” के रूप में पेश करने के लिए। रैली में नीतीश कुमार के अलावा पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल भी शामिल हुए। वहीं हैरानी की बात यह रही कि इनेलो ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को अपने संस्थापक और पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल की जयंती पर होने वाली रैली में नहीं बुलाया। इसके साथ ही जिन क्षेत्रीय ताकतों को निमंत्रण मिला, उनमें द्रमुक, टीआरएस और टीएमसी जैसी पार्टियां थीं। हालांकि आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी को आमंत्रित किया गया था या नहीं, इस पर कोई स्पष्टता नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक नेशनल कांन्फ्रेन्स के फारूक अब्दुल्ला, मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रैली में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त करते हुए संदेश भेजे थे।

बिहार के सीएम नीतीश ने मंच पर मौजूद पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल से कहा, “मेरे आपके पिता के साथ घनिष्ठ संबंध हैं … मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप विचलित न हों और समूह को मजबूत करने के लिए हमसे जुड़ें”। सूत्रों ने कहा कि नीतीश हाल ही में सुखबीर के भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मिलने की अटकलों की ओर इशारा कर रहे थे। सुखबीर ने कहा कि एनडीए सरकार बनाने में बीजेपी के बदौलत सक्षम नहीं रही थी, क्योंकि भाजपा के पास केवल कुछ ही सीटें थीं। बादल ने कहा कि यह शिवसेना, एनडीए, इनेलो और अन्य सहित सहयोगियों के संघर्ष और काम के कारण ही हो पाया था। राकांपा प्रमुख शरद पवार और सीपीएम के सीताराम येचुरी ने बिहार के सीएम नीतीश की अपील को दोहराया। इस दौरान रैली में शामिल कुछ बड़े नामों के साथ ही सभी विपक्षी दलों से केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ हाथ मिलाने और “खेती और श्रमिक वर्ग का समर्थन” करने की मांग की गई ।

पवार ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने किसान आंदोलन के दौरान आपराधिक मामलों को वापस लेने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने सहित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद जो वायदे किए थे, उसे भूल गई है। वहीं येचुरी ने कहा कि देश के असली मालिक तो और लोग थे और सरकार “केवल एक प्रबंधक” थी, जिसे 2024 में बदलने की आवश्यकता है। येचुरी ने कहा कि ये विभाजनकारी ताकतें देश के सामाजिक ताने-बाने को बर्बाद कर देंगी”।

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