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Hisar News: मंदबुद्धि महिलाओं का सहारा बन आसरा दे रही बाला वर्मा Latest Haryana News

Hisar News: मंदबुद्धि महिलाओं का सहारा बन आसरा दे रही बाला वर्मा  Latest Haryana News

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बाला देवी घायल महिला को उपचार देते हुए। स्रोत स्वयं
– फोटो : 1

हिसार। मंदबुद्धि महिलाएं अपने परिवार को छोड़कर जाने-अनजाने घर से चल जाती हैं। समाज में भी उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता। मानसिक रूप से दिव्यांग होने के कारण लोग उनको अपनाने से भी गुरेज करते हैं। मगर आजाद नगर का भाग्यश्री आश्रम ऐसी मानसिक रूप से दिव्यांग महिलाओं को न केवल सहारा दे रहा हैं बल्कि उनका इलाज करवाकर उनके परिवार से भी मिलवा रहा है। आश्रम की तरफ से एक-दो नहीं बल्कि अभी तक देश के अलग अलग राज्यों की 170 महिलाओं को परिवार से मिलवाया जा चुका है। आश्रम की संचालिका बाला वर्मा ने बताया कि चार साल पहले उसने भाई बलवान के साथ मिलकर यह आश्रम शुरू किया था।

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पिछले 4 साल से 29 वर्षीय बाला आजाद नगर में भाग्यश्री आश्रम चला रही है। मौजूदा समय में इस आश्रम में 57 मंदबुद्धि महिलाएं रह रही है, जिनका नागरिक अस्पताल में इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि 500 जग में 3 मंजिला आश्रम किराए पर लिया हुआ है, जिसका वह 30 हजार रुपये किराया दे रही हैं। हालांकि अब कई सामाजिक संस्थाएं आश्रम के लिए सहयोग कर रही हैं, लेकिन शुरू के 2 साल उन्होंने घर से रुपये लगाए थे।

संचालिका ने बताया कि सात सदस्यों की टीम 24 घंटे मंदबुद्धि महिलाओं की सेवा करने के लिए तत्पर रहती है। एक कॉल पर टीम मौके पर पहुंच जाती है और मंदबुद्धि महिलाओं को अनाथ आश्रम में लाकर उनकी सेवा करती है। उनकी टीम फुटपाथ पर मिले या कहीं से भी कॉल आए, तुरंत मौके पर पहुंच जाती है। सात सदस्यीय टीम में बाला के अलावा उनकी माता भुला देवी, विक्रम लोरा, मंजू बाला, बलवान सिंह और महाबीर, सुमन गुप्ता शामिल हैं।

आश्रम संचालिका बताती है कि उनके पास पुलिस के अलावा अन्य जगहों से भी कॉल आती हैं। रेस्क्यू करने के लिए दिन-रात 24 घंटे टीम तैयार रहती है। जब महिलाओं को आश्रम में लाने के लिए लेने जाते हैं तो कई महिलाओं की हालत खराब होती है। उनकी देखरेख नहीं होने से किसी महिला के सिर में कीड़े तक पड़ जाते हैं। उनके बाल बड़े हो जाते हैं। किसी के शरीर पर इंफेक्शन होता है। मगर, आश्रम में आने के बाद इन मंदबुद्धि महिलाओं की पूरी केयर की जाती है। जहां उन्हें सुकून मिलता है। फुटपाथ से भी काफी महिलाओं का रेस्क्यू किया गया है।

बाला वर्मा ने बताया कि वह बचपन से ही परिवार के सदस्यों के साथ आश्रम में जाती थी। वहां सुनाती थी कि हमेशा अच्छा करना चाहिए और किसी भी व्यक्ति का मन नहीं दुखाना चाहिए। इसके बाद उसने समाज के लिए कुछ अच्छा करने की ठानी और फिर छह सदस्य टीम बनाकर मंदबुद्धि महिलाओं की सेवा करनी शुरू कर दी। वर्तमान में आश्रम में 57 महिलाएं है, जो मानसिक रूप से परेशान हैं। बाला ने बताया कि उसका उद्देश्य है कि आने वाले समय में वो आश्रम के लिए स्थायी जमीन खरीदेंगी, जिसमें 1000 से अधिक महिलाओं के रहने की व्यवस्था कर सकें।

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