हिसार में साइकिलिंग के दौरान खिलाड़ी।
हिसार। हिसार खेलों का हब बन चुका है। यहां के खिलाड़ियों ने न केवल राज्य स्तर पर अपनी पहचान बनाई, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी देश का नाम रोशन किया। चार साल से खेल विभाग ने खिलाड़ियों के लिए खेल सामग्री तक नहीं खरीदी हैं। इस कारण आज खिलाड़ी अपने खर्च पर खेलों का सामान खरीदकर प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं। उकलाना के प्रभुवाला में राजीव गांधी खेल सेंटर चलता है। इस सेंटर के तहत 30 खिलाड़ी साइकिलिंग करते हैं, जिनमें से पांच खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर के हैं।
बता दें कि चार साल पहले खेल विभाग ने 6 इंपोर्टिड रोड साइकिल खरीदी थी। हालात यह है कि महंगी साइकिल होने के कारण पांच से छह खिलाड़ियों ने पुरानी साइकिल खरीदी तो अधिकतर खिलाड़ी सामान्य साइकिल पर प्रैक्टिस कर रहे हैं। इससे उनकी प्रैक्टिस पूरी तरह बाधित हो रही है। हालांकि कोच की ओर से कई बार खेल विभाग के पास साइकिल की डिमांड भी भेजी गई। चार साल से खिलाड़ियों को साइकिल आने का इंतजार चल रहा है। महाबीर स्टेडियम में विभिन्न खेलों को प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां रोजाना 600 से ज्यादा खिलाड़ी खेलों का प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं। स्टेडियम में अभ्यास करवाने वाले कोच ने भी खेल सामग्री की डिमांड भेजी थी, मगर अभी तक खेल सामग्री नहीं पहुंची हैं।
चार महीने पहले मैंने 1 लाख 30 हजार रुपये की कार्बन फाइबर की पुरानी साइकिल खरीदी है। यह साइकिल चलने में हल्की है। प्रैक्टिस भी सही होती है। खेल विभाग की ओर से खिलाड़ियों को साइकिल मिलनी चाहिए। मगर आज अधिकतर खिलाड़ी अपने रुपये से साइकिल खरीदने को मजबूर हैं। – सौरव, नेशनल खिलाड़ी
मैं पांच साल से साइकिलिंग कर रहा हूं। मैंने एक साल पहले 85 हजार रुपये की पुरानी इंपोर्टिड साइकिल ली थी। अब स्पेशल इवेंट के लिए मैंने 2 लाख रुपये की पुरानी साइकिल खरीदी है। आज हम सरकारी सेंटर के तहत प्रैक्टिस कर रहे हैं। मगर साइकिल खुद के रुपये की खरीदनी पड़ रही है। – आर्यन, नेशनल खिलाड़ी
हमारे पास प्रैक्टिस के लिए 6 इंपोर्टिड रोड साइकिल हैं। यह साइकिल काफी महंगी आती है। अधिकतर खिलाड़ियों ने अपने निजी खर्चें से पुरानी साइकिल खरीदी हुई हैं। दो माह पहले 15 साइकिल की डिमांड भेजी गई थी। उम्मीद है कि जल्द ही खिलाड़ियों के लिए साइकिल पहुंच जाएंगी। – हैप्पी असीजा, कोच, खेल विभाग
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