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हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित की गईं सरसों की उन्नत किस्में आरएच-1975 व आरएच-725 का बीज मध्यप्रदेश के किसानों को भी उपलब्ध होंगी। एचएयू ने मध्यप्रदेश के नीमच की स्थित कंपनी माई किसान एग्रो (एमकेडी सीड्स) के साथ समझौता किया है।
कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा। वीसी की उपस्थिति में विश्वविद्यालय की तरफ से अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने और कंपनी की तरफ से जसवंत सिंह चौधरी ने हस्ताक्षर किए।
सरसों की आरएच 1975 किस्म 11 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ औसत उत्पादन और आरएच-725 14 से 15 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन क्षमता रखने वाली किस्म है। इस किस्म में तेल कि मात्रा लगभग 39.5 प्रतिशत है। आरएच 1975 किस्म हरियाणा सहित पंजाब, दिल्ली, जम्मू व उत्तरी राजस्थान के सिंचित क्षेत्रों में बीजाई के लिए चिह्नित की गई है।
सरसों की आरएच-725 किस्म की फलियां अन्य किस्मों की तुलना में लंबी व उनमें दानों की संख्या भी अधिक होती है। साथ ही दानों का आकार भी बड़ा होता है और तेल की मात्रा भी ज्यादा होती है। यह किस्म हरियाणा के अलावा पंजाब, दिल्ली, जम्मू, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व मध्य प्रदेश में 20 से 25 प्रतिशत क्षेत्र में अकेली उगाई जाने वाली किस्म है। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. पवन कुमार, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. रमेश कुमार, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. विनोद मलिक, डॉ. रामअवतार, आईपीआर सेल के प्रभारी डॉ. योगेश जिंदल, डॉ. रेणू मुंजाल व डॉ. जितेन्द्र भाटिया उपस्थित रहे।
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Hisar News: एचएयू ने मध्यप्रदेश की कंपनी से किया समझौता, सरसों की उन्नत किस्में अब मध्यप्रदेश में भी लहलहाएंगी