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हिसार। दिन का तापमान 10 से 15 डिग्री के बीच रहने से गेहूं में पीला रतुआ की बीमारी का खतरा हो सकता है। प्रदेश में करीब 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई गेहूं की फसल पर अगले एक महीने में यह संकट आ सकता है। पहाड़ी क्षेत्रों से हवा के जरिए आने वाली इस बीमारी से बचने के लिए किसानों को 31 जनवरी तक अपनी फसल पर नजर रखनी होगी।
हिसार सहित प्रदेश के अधिकतर जिलों में पिछले दो दिन में बारिश के बाद दिन के तापमान में गिरावट आई है। दिसंबर के शेष दिनों और जनवरी में दिन का तापमान और कम होगा। ऐसे में गेहूं की फसल में पीला रतुआ की आशंका है। चौधरी चरण सिंह कृषि विश्विवद्यालय के गेहूं विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ओपी बिश्नोई ने कहा कि किसानों को अगले एक महीने तक लगातर अपनी फसलों का निरीक्षण करना चाहिए। उन्होंने बताया कि पहाड़ी प्रदेशों के साथ लगते जिलों में गेहूं पर पीला रतुआ का खतरा सबसे अधिक होता है। खासकर अंबाला, यमुनानगर, पंचकूला में इसका खतरा अधिक रहता है। दरअसल पीला रतुआ के फफूंद हवा के साथ आते हैं। पीला रतुआ रोग से 70 से 80 प्रतिशत तक फसल बर्बाद हो जाती है। उन्होंने बताया कि इस समय बारिश गेहूं, जौ, सरसों की फसलों के लिए फायदेमंद साबित होगी। ऐसे करें रोग की पहचान
पीला रतुआ रोग के लक्षणों में पीले रंग की धारियां पत्तियों पर दिखाई देती हैं। इसकी पहचान के लिए पत्ते को तोड़कर उसे हाथ पर मसलना चाहिए। अगर हल्दी जैसा पीला चूरन निकलता है तो यह पीला रतुआ है। पौधे के नीचे देखें, वहां भी पीला पाउडर जमीन पर गिरा दिखाई दे तो यह पीला रतुआ है। मुख्यत: पत्तियों पर ही पीली धारियां पाई जाती हैं। तापमान बढ़ने पर मार्च के अंत में पत्तियों की पीली धारियां काले रंग में बदल जाती हैं। इसका सबसे अधिक प्रकोप अधिक ठंड और नमी वाले मौसम में होता है।
ऐसे करें उपचार
डॉ. ओपी बिश्नोई ने बताया कि पीला रतुआ बीमारी में प्रोपिकोनीजोल दवाई 200 एमएल को 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए। गेहूं की फसल पर तीन प्रतिशत यूरिया और 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का स्प्रे करें। एक एकड़ के लिए, छह किलो यूरिया और 1.0 किलो जिंक सल्फेट (33 प्रतिशत) को 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। बीमारी के लक्षण मिलने पर कृषि अधिकारियों से सलाह लें।
पीला रतुआ रोधी किस्म अपनाएं
कृषि वैज्ञानिकों ने पीला रतुआ रोधी किस्में विकसित की हुई हैं। किसानों को चाहिए कि बिजाई से पहले किस्म के बारे में कृषि अधिकारी से पूरी जानकारी लें। गेहूं की प्रमाणित किस्मों को ही लगाएं। विश्वविद्यालय की ओर से अनुमोदित बीज का उपयोग करें। अगर घर में तैयार बीज का उपयोग कर रहे हों तो बीजोपचार कर लें।
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Hisar News: अगले एक माह तक अधिक ठंड और नमी में गेहूं पर पीला रतुआ का खतरा