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नशामुक्त गांव
– फोटो : संवाद
विस्तार
हिसार पुलिस प्रशासन भले ही गांवों को नशा मुक्त घोषित कर चुका है पर नशे के जाल में फंस चुके युवाओं की रंगों में अब भी चिट्टा दौड़ रहा है। बात करीब चार माह पहले नशा मुक्त घोषित गांव असरावां की कर रहे हैं। हालत ये है कि इस गांव के 15-20 युवा अब भी चिट्टे का नशा कर रहे हैं। गांव के श्मशान घाट में झाड़ियों के बीच बिखरीं सिरिंज और रैपर इसकी तस्दीक करते हैं। गांव वाले बताते हैं कि चिट्टे के नशे से पांच युवकों की मौत हो चुकी है।
दस दिन पहले एक युवक की मौत हुई है। पास ही स्थित गांव मलापुर को पुलिस प्रशासन ने 28 अक्तूबर को नशा मुक्त घोषित किया था। यहां भी चार-पांच युवा गांजा और चिट्टे का नशा करते हैं। नशा करने वाला एक युवक जेल के अंदर है। संवाद संवाददाता को असरावां के सतपाल ने बताया कि गांव में शिव मंदिर के पास श्मशान घाट है। इसमें जाकर कुछ युवा सिरिंज के जरिए नशा करते हैं।
पुलिस प्रशासन की तरफ से नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, इसके बाद भी युवा नशा छोड़ने की बजाय इसकी गर्त में जा रहे हैं। बकौल कृष्ण, गांव में दस साल पहले युवाओं ने चिट्टे का नशा करना शुरू किया। पहले कुछ युवा शराब जरूर पीते थे, लेकिन चिट्टे का नशा नहीं करते थे। हालत यह है कि जागरूक करने के बाद भी नशा नहीं छोड़ रहे।
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Hisar: कागजों में नशामुक्त गांव असरावां और मलापुर के युवाओं की रगों में अब भी दौड़ रहा चिट्टा, पढ़ें रिपोर्ट