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जुबिलेंट भरतिया ग्रुप की प्रमोटर भरतिया फैमिली कोका-कोला इंडिया के लिए बोतल बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज (HSBC) में 40% हिस्सेदारी खरीद लिया है। भरतिया फैमिली का यह अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है। कंपनी ने अपनी ओर से डील के अमाउंट को डिस्क्लोज नहीं किया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह डील 10,000 करोड़ रुपए की है।
कोका-कोला इंडिया के प्रेसिडेंट संकेत रे ने कहा कि अलग-अलग सेक्टर्स में एक्सपीरियंस के साथ जुबिलेंट ने अपना दशकों का समृद्ध अनुभव लेकर आया है। यह कोका-कोला के सिस्टम को गति देने में मदद करेगा।
डील को इक्विटी और डेट के जरिए फंड किया जाएगा
रिपोर्ट्स से मुताबिक, इस डील को इक्विटी और डेट (लोन) के जरिए फंड किया जाएगा। जुबिलेंट ग्रुप के श्याम और हरि भरतिया के नेतृत्व में भरतिया परिवार 5,000 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रिब्यूशन दे रहा है। जबकि शेष राशि गोल्डमैन सैक्स की ओर से दी जाएगी। गोल्डमैन सैक्स इस डील के लिए स्पेशल परचेज व्हीकल (SPV) के तहत फंड दे रही है।
भारत ग्लोबल स्तर पर कोका कोला का पांचवा सबसे बड़ा बाजार
भारत ग्लोबल स्तर पर कोका कोला का पांचवा सबसे बड़ा बाजार है। कंपनी अपनी असेट-लाइट स्ट्रैटेजी के तहत ग्लोबल स्तर पर बॉटलिंग ऑपरेशन को बेच रही है। भारत में कंपनी ने अपने बॉटलिंग ऑपरेशन को तीन मेजर मार्केट- राजस्थान, बिहार, नॉर्थ-इस्ट और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में अपने मौजूदा बॉटलरों को फ्रैंचाइज किया था।
कोका-कोला भारतीय बाजार में दो एंटिटी के साथ काम करती है- कोका-कोला इंडिया और हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड यह कंपनी की बोटलिंग आर्म है।
ब्रांडिंग और अन्य बिजनेस देखने वाली कोका-कोला इंडिया ने वित्त वर्ष 2024 में 4,713.38 करोड़ रुपए का कॉन्सोलिडेटेड रेवेन्यू दर्ज किया। इस दौरान इसका मुनाफा इसका लाभ 41.82% घटकर 420.29 करोड़ रुपए रहा।
जबकि वित्त वर्ष 2024 में HCCBL ने 14,021.54 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। वित्त वर्ष 2023 के मुकाबले यह 10.10% ज्यादा थी। कंपनी का नेट प्रॉफिट तीन गुना बढ़कर 2,808.31 करोड़ रुपए रहा।
HCCBL 7 अलग-अलग कैटेगरी में 60 प्रोडक्ट्स बनाती और बेचती है। इसके प्रोडक्ट्स में कोका-कोला, थम्स अप, स्प्राइट, मिनट मेड, माजा, स्मार्टवाटर, किनले, लिम्का, फैंटा जैसे प्रोडक्ट्स शामिल हैं।
कैसे नाम पड़ा कोका-कोला?
पेंबरटन के बहीखाते की देखभाल करने वाले फ्रैंक मेसन रॉबिनसन ने इसका नाम रखा कोका-कोला (Coca-Cola)। वो इसलिए क्योंकि इसे बनाने में कोका के पत्ते और कोला के बीज का इस्तेमाल होता था। जैकब फार्मेसी ने इस ड्रिंक को 5 सेंट प्रति गिलास बेचना शुरू कर दिया। 29 मई 1886 को अटलांटा कॉन्स्टीट्यूशन अखबार में कोका-कोला का पहला विज्ञापन प्रकाशित हुआ। धीरे-धीरे अपने अलग टेस्ट की वजह से ये अटलांटा के लोगों में पॉपुलर होने लगा।
1892 में बनी ‘द कोका कोला कंपनी’
पहले साल कोका-कोला के रोजाना सिर्फ 9 गिलास ही बिक पाते थे, जिससे करीब 26 डॉलर का घाटा हुआ। 1887 में बिक्री बढ़ने से मुनाफे में आती उससे पहले ही पेंबरटन बीमार हो गए। कोका-कोला के ज्यादातर शेयर फार्मासिस्ट आसा ग्रिग्स कैंडलर ने खरीद लिए। 16 अगस्त 1888 को पेंबरटन का निधन हो गया। 29 जनवरी 1892 को कोका-कोला एक प्रोडक्ट से कंपनी बन गई, जिसका नाम था- द कोका कोला कंपनी।
5 सितंबर 1919 को आर्नेस्ट बुडरफ और कुछ निवेशकों ने मिलकर कोका-कोला कंपनी को 2.5 करोड़ डॉलर में खरीद लिया। इसके बाद इसे न्यूयॉर्क के स्टॉक मार्केट में लिस्ट कर दिया गया।
ट्रेडमार्क बन गई कोका-कोला की बोतल
कोका-कोला की बिक्री बढ़ी तो मिसिसिपी के थोक व्यापारी जोसेफ बाइडेनहार्न से इसे बोतलों में भरकर बेचना शुरू किया। 1915 तक सैकड़ों जगह बोतलबंद कोका कोला मिलने लगा। कई कंपनियों ने कोका कोला की नकल करने की भी कोशिश की।
नकलचियों से बचने के लिए कंपनी ने कोका-कोला की बोतल का ऐसा डिजाइन तैयार करने का फैसला किया, जो सबसे अलग हो और अंधेरे में भी पहचानी जा सके। आखिरकार उस वक्त जो बोतल की डिजाइन तय की गई थी वही आज तक जारी है। 12 अप्रैल 1961 को कोका-कोला की बोतल को ट्रेडमार्क के रूप में मान्यता मिली।
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HCCB में 40% हिस्सेदारी खरीद रही भरतिया फैमिली: कोका कोला के लिए बोतल बनाती है कंपनी, ₹10,000 करोड़ में होगी डील