[ad_1]
भाजपा से श्रुति चौधरी तो कांग्रेस से उनके चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी को टिकट मिला है।
– फोटो : संवाद
विस्तार
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के गढ़ तोशाम में परिवार के ही चचेरी बहन और भाई अब आमने-सामने होंगे। भाजपा से श्रुति चौधरी तो कांग्रेस से उनके चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी को टिकट मिला है। वहीं भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद पूर्व विधायक शशिरंजन परमार भी तोशाम से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल में ताल ठोक चुके हैं। जजपा ने भी तोशाम से अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है। ऐसे में तोशाम से कौन सिकंदर बनेगा, यह भी अब दिलचस्प हो गया है।
तोशाम लंबे अर्से से पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल का गढ़ माना जाता रहा है। इस सीट पर खुद चौधरी बंसीलाल जीतकर सूबे के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। वहीं उनके पुत्र चौ. सुरेंद्र सिंह भी यहां से विधायक बन चुके हैं। सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद 2005 से ही इस सीट पर कांग्रेस की टिकट पर लगातार किरण चौधरी विधायक बनती आ रही हैं।
भाजपा में जाने के बाद किरण राज्यसभा सदस्य हैं, ऐसे में उनकी बेटी श्रुति चौधरी यहां से भाजपा की प्रत्याशी हैं। वहीं टिकट कटने से नाराज पूर्व विधायक शशिरंजन परमार भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। इधर, जजपा से सरपंच राजेश भारद्वाज को प्रत्याशी घोषित किया है।
दिलचस्प पहलु यह भी है कि अब कांग्रेस से अनिरुद्ध के उतरने के बाद तोशाम में पूर्व मुख्यमंत्री परिवार के बीच समर्थकों का वोट भी बंट जाएगा। क्योंकि एक ही परिवार के दो सदस्य चुनावी मैदान में हैं और दोनों बंसीलाल के नाम पर ही वोट भी मांग रहे हैं। ऐसे में मतदाता भी असमंजस में ही रहेंगे कि किसे चुने और किसे नकारें।
श्रुति चौधरी का ये रहेगा मजबूत और कमजोर पक्ष
पूर्व सांसद श्रुति चौधरी का मजबूत पक्ष यह है कि तोशाम से श्रुति चौधरी ने सांसद के चुनाव में भी काफी लीड यहां से ली है। दूसरी बात श्रुति के साथ उनकी मां किरण चौधरी भी यहां पूरी ताकत झोंक बेटी को जीत दिलाने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। वे दिल्ली और हरियाणा में दोनों जगह चौधर होने का हवाला देकर इलाके के लोगों के काम कराने का दावा भी कर रही हैं। जबकि कमजोर पक्ष यह है कि बंसीलाल के मतदाताओं और जाट मतदाताओं को अपने पक्ष में करना उनके लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। वहीं तोशाम में पिछले काफी अर्से से विपक्ष का विधायक होने के नाते विकास कार्य नहीं होना भी कमजोर पक्ष माना जा रहा है।
ये है अनिरुद्ध चौधरी का मजबूत और कमजोर पक्ष
अनिरुद्ध चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के इकलौते पोते होने के साथ-साथ पूर्व विधायक रणबीर महेंद्रा के बेटे हैं। उनका मजबूत पक्ष यह है कि बंसीलाल परिवार का परंपरागत वोट उनके साथ आ सकता है। इलाके के जाट मतदाता भी अनिरुद्ध के पक्ष में मतदान कर सकते हैं, क्योंकि वे बीजेपी से नाराज हैं। जबकि कमजोर पक्ष यह भी है कि उनका ये पहला विधानसभा चुनाव है। इससे पहले वे बाढ़डा में सक्रिय रहे हैं। अब तोशाम में चुनाव के दौरान उनके लिए मतदाताओं को साधना भी बड़ी चुनौती है।
पूर्व विधायक शशिरंजन भी देंगे कड़ी टक्कर
तोशाम से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पूर्व विधायक शशिरंजन परमार भी बंसीलाल परिवार के सदस्यों को कड़ी टक्कर देंगे। क्योंकि वे पिछले चुनाव में यहां से करीब 56 हजार वोट हासिल कर चुके हैं। इस बार वे जितना भी मत हासिल करेंगे, उससे बंसीलाल परिवार के सदस्यों के मतों का ही गणित बिगड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के गढ़ तोशाम में परिवार के ही चचेरी बहन और भाई अब आमने-सामने होंगे। भाजपा से श्रुति चौधरी तो कांग्रेस से उनके चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी को टिकट मिला है। वहीं भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद पूर्व विधायक शशिरंजन परमार भी तोशाम से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल में ताल ठोक चुके हैं। जजपा ने भी तोशाम से अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है। ऐसे में तोशाम से कौन सिकंदर बनेगा, यह भी अब दिलचस्प हो गया है।
तोशाम लंबे अर्से से पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल का गढ़ माना जाता रहा है। इस सीट पर खुद चौधरी बंसीलाल जीतकर सूबे के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। वहीं उनके पुत्र चौ. सुरेंद्र सिंह भी यहां से विधायक बन चुके हैं। सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद 2005 से ही इस सीट पर कांग्रेस की टिकट पर लगातार किरण चौधरी विधायक बनती आ रही हैं। भाजपा में जाने के बाद किरण राज्यसभा सदस्य हैं, ऐसे में उनकी बेटी श्रुति चौधरी यहां से भाजपा की प्रत्याशी हैं। वहीं टिकट कटने से नाराज पूर्व विधायक शशिरंजन परमार भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। इधर, जजपा से सरपंच राजेश भारद्वाज को प्रत्याशी घोषित किया है। दिलचस्प पहलु यह भी है कि अब कांग्रेस से अनिरुद्ध के उतरने के बाद तोशाम में पूर्व मुख्यमंत्री परिवार के बीच समर्थकों का वोट भी बंट जाएगा। क्योंकि एक ही परिवार के दो सदस्य चुनावी मैदान में हैं और दोनों बंसीलाल के नाम पर ही वोट भी मांग रहे हैं। ऐसे में मतदाता भी असमंजस में ही रहेंगे कि किसे चुने और किसे नकारें।
श्रुति चौधरी का ये रहेगा मजबूत और कमजोर पक्ष
पूर्व सांसद श्रुति चौधरी का मजबूत पक्ष यह है कि तोशाम से श्रुति चौधरी ने सांसद के चुनाव में भी काफी लीड यहां से ली है। दूसरी बात श्रुति के साथ उनकी मां किरण चौधरी भी यहां पूरी ताकत झोंक बेटी को जीत दिलाने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। वे दिल्ली और हरियाणा में दोनों जगह चौधर होने का हवाला देकर इलाके के लोगों के काम कराने का दावा भी कर रही हैं। जबकि कमजोर पक्ष यह है कि बंसीलाल के मतदाताओं और जाट मतदाताओं को अपने पक्ष में करना उनके लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। वहीं तोशाम में पिछले काफी अर्से से विपक्ष का विधायक होने के नाते विकास कार्य नहीं होना भी कमजोर पक्ष माना जा रहा है।
ये है अनिरुद्ध चौधरी का मजबूत और कमजोर पक्ष
अनिरुद्ध चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के इकलौते पोते होने के साथ-साथ पूर्व विधायक रणबीर महेंद्रा के बेटे हैं। उनका मजबूत पक्ष यह है कि बंसीलाल परिवार का परंपरागत वोट उनके साथ आ सकता है। इलाके के जाट मतदाता भी अनिरुद्ध के पक्ष में मतदान कर सकते हैं, क्योंकि वे बीजेपी से नाराज हैं। जबकि कमजोर पक्ष यह भी है कि उनका ये पहला विधानसभा चुनाव है। इससे पहले वे बाढ़डा में सक्रिय रहे हैं। अब तोशाम में चुनाव के दौरान उनके लिए मतदाताओं को साधना भी बड़ी चुनौती है।
पूर्व विधायक शशिरंजन भी देंगे कड़ी टक्कर
तोशाम से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पूर्व विधायक शशिरंजन परमार भी बंसीलाल परिवार के सदस्यों को कड़ी टक्कर देंगे। क्योंकि वे पिछले चुनाव में यहां से करीब 56 हजार वोट हासिल कर चुके हैं। इस बार वे जितना भी मत हासिल करेंगे, उससे बंसीलाल परिवार के सदस्यों के मतों का ही गणित बिगड़ेगा।
[ad_2]
Haryana Politics: गढ़ में टक्कर; तोशाम में बंसीलाल परिवार के भाई और बहन आमने-सामने