Haryana Pharmacy Council: परिषद की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता नहीं, जांच में सही मिले कार्यकारी रजिस्ट्रार के आरोप


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हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में बड़े स्तर पर प्रशासनिक अनियमितताएं पाई गई हैं। परिषद में पारदर्शिता की भारी कमी है और रजिस्ट्रार द्वारा लगाए गए आरोप लगभग सही पाए गए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेश पर आईएएस अधिकारी प्रभजोत सिंह की ढाई माह तक विस्तृत जांच में यह सामने आया है। आईएएस अधिकारी ने 22 पेज की रिपोर्ट चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी अनुपमा को सौंप दी है।

सूत्रों के अनुसार, आईएएस अधिकारी ने जांच रिपोर्ट में परिषद में वर्षों से लंबित पंजीकरण मामलों पर चिंता जाहिर की है। साथ ही सिफारिश की है कि हरियाणा के छात्रों के लिए पंजीकरण की समय सीमा एक माह तक तय की जाए और दूसरे प्रदेशों से कोर्स करने वालों के लिए तीन माह की डेडलाइन तय की जाए। पंजीकरण के मामलों को लंबित न किया जाए, या तो स्वीकृत किया जाए या फिर अस्वीकृत। फर्जी पंजीकरण के मामले पकड़ने की जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में प्रशंसा भी की है।

साथ ही ये भी लिखा है कि प्रधान ने फर्जी मामले जरूर पकड़े हैं, लेकिन उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। भविष्य में अगर कोई फर्जी मामला सामने आता है तो न केवल उनका पंजीकरण रद्द किया जाए, बल्कि उनके खिलाफ केस भी दर्ज कराया जाए। जांच के दौरान अध्यक्ष पर लगाए गए पांच करोड़ रुपये के गबन के आरोपों में सबूत नहीं मिल सके। गौर हो कि परिषद सदस्य अरुण पराशर, बीबी सिंगल, पूर्व प्रधान केसी गोयल, रविंद्र चौपड़ा, सुरिंद्र सालवान, यशपाल सिंगला मार्च माह में सीएम से मिलकर अध्यक्ष पर कई गंभीर आरोप लगाए थे और जांच की मांग की थी। 15 मार्च के बाद एनएचएम के एमडी प्रभजोत सिंह को जांच का जिम्मा सौंपा गया था।

एचसीएस को रजिस्ट्रार लगाने का सुझाव

परिषद में सुधार के लिए जांच रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए परिषद की बैठकों की वीडियोग्राफी कराई जाए ताकि बैठक में उपस्थित सदस्यों और एजेंटों को लेकर पारदर्शिता रहे। साथ ही पंजीकरण को ऑनलाइन किया जाए। इसके अलावा, एक्ट का हवाला देते हुए यह भी सुझाव दिया है कि कमेटी में कार्यकारी के स्थान पर स्थायी रजिस्ट्रार हो और वह पावरफुल हो। इसके लिए सिफारिश की गई है कि एचसीएस स्तर के अधिकारी को यहां रजिस्ट्रार लगाया जा सकता है। 

ये आरोप पाए गए सही

काउंसिल के रजिस्ट्रार राजकुमार ने 10 जनवरी को सीएम को शिकायत देकर आरोप लगाया था कि रजिस्ट्रेशन पर हस्ताक्षर से लेकर सभी तरह से प्रधान का नियंत्रण है। रजिस्ट्रार के पास आधिकारिक डाक तक नहीं आने दी जाती है। नियमों के खिलाफ बैंक के सभी चेक पर अध्यक्ष धनेश अदलखा द्वारा हस्ताक्षर किए जा रहे हैं और उपप्रधान सोहन लाल बैंक खातों को डील कर रहे हैं। डायरी डिस्पेच से लेकर ऑफिस की ई मेल तक खोलने नहीं दी जा रही है। विभागीय सूत्रों का दावा है कि जांच में रजिस्ट्रार के ये सभी आरोप सही पाए गए हैं।

विस्तार

हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में बड़े स्तर पर प्रशासनिक अनियमितताएं पाई गई हैं। परिषद में पारदर्शिता की भारी कमी है और रजिस्ट्रार द्वारा लगाए गए आरोप लगभग सही पाए गए हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेश पर आईएएस अधिकारी प्रभजोत सिंह की ढाई माह तक विस्तृत जांच में यह सामने आया है। आईएएस अधिकारी ने 22 पेज की रिपोर्ट चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी अनुपमा को सौंप दी है।

सूत्रों के अनुसार, आईएएस अधिकारी ने जांच रिपोर्ट में परिषद में वर्षों से लंबित पंजीकरण मामलों पर चिंता जाहिर की है। साथ ही सिफारिश की है कि हरियाणा के छात्रों के लिए पंजीकरण की समय सीमा एक माह तक तय की जाए और दूसरे प्रदेशों से कोर्स करने वालों के लिए तीन माह की डेडलाइन तय की जाए। पंजीकरण के मामलों को लंबित न किया जाए, या तो स्वीकृत किया जाए या फिर अस्वीकृत। फर्जी पंजीकरण के मामले पकड़ने की जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में प्रशंसा भी की है।

साथ ही ये भी लिखा है कि प्रधान ने फर्जी मामले जरूर पकड़े हैं, लेकिन उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। भविष्य में अगर कोई फर्जी मामला सामने आता है तो न केवल उनका पंजीकरण रद्द किया जाए, बल्कि उनके खिलाफ केस भी दर्ज कराया जाए। जांच के दौरान अध्यक्ष पर लगाए गए पांच करोड़ रुपये के गबन के आरोपों में सबूत नहीं मिल सके। गौर हो कि परिषद सदस्य अरुण पराशर, बीबी सिंगल, पूर्व प्रधान केसी गोयल, रविंद्र चौपड़ा, सुरिंद्र सालवान, यशपाल सिंगला मार्च माह में सीएम से मिलकर अध्यक्ष पर कई गंभीर आरोप लगाए थे और जांच की मांग की थी। 15 मार्च के बाद एनएचएम के एमडी प्रभजोत सिंह को जांच का जिम्मा सौंपा गया था।

एचसीएस को रजिस्ट्रार लगाने का सुझाव

परिषद में सुधार के लिए जांच रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए परिषद की बैठकों की वीडियोग्राफी कराई जाए ताकि बैठक में उपस्थित सदस्यों और एजेंटों को लेकर पारदर्शिता रहे। साथ ही पंजीकरण को ऑनलाइन किया जाए। इसके अलावा, एक्ट का हवाला देते हुए यह भी सुझाव दिया है कि कमेटी में कार्यकारी के स्थान पर स्थायी रजिस्ट्रार हो और वह पावरफुल हो। इसके लिए सिफारिश की गई है कि एचसीएस स्तर के अधिकारी को यहां रजिस्ट्रार लगाया जा सकता है। 

ये आरोप पाए गए सही

काउंसिल के रजिस्ट्रार राजकुमार ने 10 जनवरी को सीएम को शिकायत देकर आरोप लगाया था कि रजिस्ट्रेशन पर हस्ताक्षर से लेकर सभी तरह से प्रधान का नियंत्रण है। रजिस्ट्रार के पास आधिकारिक डाक तक नहीं आने दी जाती है। नियमों के खिलाफ बैंक के सभी चेक पर अध्यक्ष धनेश अदलखा द्वारा हस्ताक्षर किए जा रहे हैं और उपप्रधान सोहन लाल बैंक खातों को डील कर रहे हैं। डायरी डिस्पेच से लेकर ऑफिस की ई मेल तक खोलने नहीं दी जा रही है। विभागीय सूत्रों का दावा है कि जांच में रजिस्ट्रार के ये सभी आरोप सही पाए गए हैं।

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