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हरियाणा निकाय चुनाव में भाजपा ने 10 में से 9 नगर निगमों में जीत दर्ज की. कांग्रेस का खाता नहीं खुला. भाजपा ने ट्रिपल इंजन का नारा देकर प्रचार किया और मुख्यमंत्री नायब सैनी ने प्रचार का मोर्चा संभाला.
हरियाणा निकाय चुनाव में भाजपा ने परचम लहराया है.
हाइलाइट्स
- भाजपा ने हरियाणा निकाय चुनाव में 10 में से 9 नगर निगम जीते.
- कांग्रेस का खाता नहीं खुला, संगठन की कमी और एकजुटता की कमी रही.
- मुख्यमंत्री नायब सैनी ने प्रचार का मोर्चा संभाला, ट्रिपल इंजन का नारा दिया.
चंडीगढ़. हरियाणा निकाय चुनाव में भाजपा ने परचम लहराया है. यहां पर 10 नगर निगमों में 9 में भाजपा के मेयर बने. कांग्रेस का खाता नहीं खुला. भाजपा का दावा 90 फीसदी निकाय चुनाव जीते और कांग्रेस को मात दी. इन पूरे चुनाव को देखा जाए तो कांग्रेस ने सरेंडर कर दिया था. खुद हुड्डा ने कहा कि वह चुनाव में गए ही नहीं थे. ऐसे में आप जानिये की भाजपा की जीत के क्या कारण रहे.
दरअसल, हरियाणा में कांग्रेस की सियासी जमीन लगातार खिसक रही है. भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में अपनी सरकार होने का फायदा मिला और पांच महीने पहले ही भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाई थी और अब भी लोगों में भाजपा को वोट डाले. भाजपा ने इस बात को प्रचार में भुनाया और ट्रिपल इंजन का नारा दिया. लोगों को बताया कि स्टेट और केंद्र में भाजपा सरकार है और ऐसे में शहरों में भी भाजपा का राज होगा तो विकास में मदद मिलेगी. वहीं, भाजपा ने विधानसभा चुनाव की तरह ही बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत किया और छोटी-छोटी टीमें वार्ड-टू-वार्ड जाकर अपने साथ जोड़ती गई. सबसे अहम बात है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस चुनाव में भी खुद प्रचार और अभियान का मोर्चा संभाला और मंत्रियों की भी ड्यूटी लगाई. सभी बड़े नेता वार्डों में भी प्रचार करते दिखे. सीएम ने सभी नगर निगमों में प्रचार के दौरान रोड शो किए.
क्यों हारी कांग्रेस

विधानसभा चुनाव की तरह निकाय और निगम चुनावों में कांग्रेस की हार के कारण कई हैं. अब तक कांग्रेस पार्टी संगठन यहां पर अपना संगठन नहीं बना पाई. निकाय चुनाव के दौरान सांसद कुमारी सैलजा ने भी कहा था कि पार्टी का संगठन दस साल से नहीं बन पाया है. विधानसभा चुनाव की तरह यहा पर भी कांग्रेस एकजुट नहीं दिखी. निकाय चुनाव के दौरान बीच में ही प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया को बदला गया. अध्यक्ष को हटाने की चर्चा हुई. साथ ही पार्टी अपना नेता प्रतिपक्ष भी तय नहीं कर पाई है. चुनाव प्रचार में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिलचस्पी नहीं दिखा और यहां तक कहा कि वह छोटे चुनाव में प्रचार के लिए नहीं जाते हैं. उधऱ, सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने भी प्रचार से दूरी बनाए रखी. कुलमिलाकर विधानसभा चुनाव की स्क्रिप्ट यहां पर भी देखने को मिली है.
हार पर क्या बोले हुड्डा
बुधवार को निकाय चुनाव के नतीजों के बाद हुड्डा ने कहा कि भाजपा तो पहले भी जीती हुई थी और हम तो चुनाव में गए ही नहीं. बकौल हुड्डा- जब मैं सीएम था तब भी इन चुनावों में नहीं गया और ना अब गया. उनके बयान से ही साफ हो गया कि कांग्रेस निकाय चुनाव को लेकर कितनी गंभीर थी. वहीं, सीएम नायब सिंह सैनी ने निकाय चुनाव में जीत को मोदी सरकारी की जीत करार दिया.
March 13, 2025, 13:37 IST
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