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चंडीगढ़. हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections 2024) में धमाकेदार प्रदर्शन करने वाली जननायक जनता पार्टी की राहें इस बार आसान नहीं हैं. विधानसभा चुनाव की घोषणा के ठीक बाद से अब तक पार्टी के पांच विधायकों ने दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) को अलविदा कह दिया है. कुछ इसी तरह की भगदड़ बिहार में चिराग पासवान की लोकजन शक्ति पार्टी में भी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav 2024) के दौरान मची थी. पार्टी के कई नेताओं ने अप्रैल में लोकसभा चुनाव से पहले साथ छोड़ दिया था. कमोबेश अब हरियाणा में साढ़े चार साल तक सत्ता में रही जेजेपी का भी है.
दरअसल, हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर को भाजपा ने सीएम के पद से हटा दिया था. इसके बाद हरियाणा को नया नायब सैनी के तौर पर सीएम मिला. सैनी ने जेजेपी को दरकिनार करते हुए अकेले सरकार बनाई और जेजेपी से गठबंधन तोड़ दिया. इसी सियासी घटनाक्रम के बाद जेजेपी में उठापटक का दौर शुरू हो गया था. जेजेपी के दो विधायकों ने तो खुले तौर पर भाजपा को समर्थन देने की बात कह दी थी. लेकिन अब चुनाव का ऐलान होते ही पार्टी टूट गई है.
5 विधायकों ने छोड़ दी जेजेपी
विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद से अब तक जेजेपी के पांच विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं. गुहला चीका से विधायक ईश्वर सिंह, पूर्व पंचायत मंत्री टोहाना के विधायक देवेंदर बबली, उकलाना से अनूप धानक, शाहाबाद से राम करण काला और बरवाला से जोगी राम सिहाग ने इस्तीफा दिया था. बुधवार को रामकरण काला ने दिल्ली में कांग्रेस का दामन भी थाम लिया. इसके अलावा, कुरुक्षेत्र से जेजेपी के लोकसभा प्रत्याशी रहे पाला राम सैनी ने जेजेपी को अलविदा कह दिया था. ऐसे में दुष्यंत की पार्टी में भगदड़ सी मच गई है.
क्यों छोड़ रहे पार्टी
दरअसल, हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की पार्टी ने 10 सीटें जीतें थी. इस दौरान जेजेपी किंगमेकर बनी और भाजपा के साथ सरकार बनाई. दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम बनाया गया. 2019 में विधानसभा चुनाव में जेजेपी को 14.9 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में जेजेपी के सभी प्रत्याशियों की जमानत ही जब्त हो गई और महज 0.87 फीसदी वोट ही उसे मिले. ऐसे में जेजेपी की लोकप्रियता को देखते हुए सभी साथ छोड़ रहे हैं. जेजेपी छोड़ने वाले विधायकों के सवाल पर दुष्यंत चौटाला ने दो दिन पहले कहा था कि जेजेपी ने विधायकों को मान-सम्मान देने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी और जेजेपी से ज्यादा मान-सम्मान उन्हें कहीं नहीं मिलेगा, इसलिए पार्टी छोड़ने की क्या वजह रही, वही बता पाएंगे.
बिहार में लोकसभा चुनाव के दौरान पासवान को लगे थे झटके
बिहार में लोकसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान को भी झटके लगे थे. भाजपा ने उन्हें हाशिये पर रखा था. साथ ही चाचा से भी चिराग का विवाद चल रहा था और इस पार्टी के 20 से अधिक नेता उनका साथ छोड़ गए थे. लेकिन लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी ने दमदार प्रदर्शन किया था और पांच सीटें जीती थी. इससे पहले, 2020 में चिराग की पार्टी टूट गई थी और चाचा पशुपति नाथ पारस ने अलग राह पकड़ी थी.