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चंडीगढ़. हरियाणा में बीते 10 साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है. 2014 के बाद से प्रदेश में भाजपा की सरकार है. अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024) के लिए बिगुल बज गया है और कांग्रेस पार्टी दोबारा सत्ता में लौटने के लिए रणनीति बना रही है. दिल्ली में बुधवार को कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की मीटिंग भी हुई और टिकट आवंटन से लेकर चुनाव में पेश आने वाली चुनौतियों के लेकर चर्चा की गई.
दरअसल, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा में 10 में से पांच सीटें जीती थी, जबकि 2019 में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था, लेकिन अब कांग्रेस ने यहां पर वापसी की है और उसे विश्वास है कि वह सत्ता में लौटेगी. हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती, उसी के नेता हैं. यहां पर पार्टी गुटों में बंटी हुई नजर आ रही है. हाईकमान की कोशिश है कि सभी गुटों को एक मंच पर लाया जाए. भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सुरजेवाला, कुमारी सैलजा के बाद कैप्टन अजय सिंह यादव भी आवाज बुलंद कर रहे हैं. चुनाव प्रभारी बावरिया और उनके बीच बयानबाजी देखने को मिली है.
अलग-अलग निकाल रहे पदयात्रा
हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के नेता अलग अलग पदयात्राएं निकाल रहे हैं. पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट ने पदयात्रा निकाली. फिर कुमारी सैलजा और बाद में सुरेजवाला पदयात्रा पर निकले. अहम बात यह भी है कि कांग्रेस के पास टिकट के लिए प्रदेश भर से 2500 से अधिक आवेदन किए गए हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के सामने अपने आप में बड़ी चुनौती हैं. क्योंकि टिकट ना मिलने पर कई नेता नाराज होंगे और निर्दलीय लड़ेंगे. साथ ही पाला भी बदल सकते हैं. ऐसे में उन्हें अगर साध लिया जाएगा तो कांग्रेस की राह थोड़ा और आसान हो जाएगी.
कांग्रेस में गुटबाजी और अलग-अलग यात्राएं निकालने पर पूर्व सीएम हुड्डा कहते हैं कि उन्हें अलग-अलग यात्रा निकालने से कोई परेशानी नहीं है. क्योंकि सभी नेता कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं. वह दावे से कहते है कि हरियाणा में इस बार कांग्रेस की सरकार बनेगी. गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी. इससे पहले 2014 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा आधा था.
सीएम पद के लिए दावेदारी
हरियाणा में चुनाव से पहले ही कांग्रेस में सीएम पद को लेकर दावेदारी ठोकी जा रही है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा जहां फ्रंटरनर हैं. वहीं, कुमारी सैलजा भी पीछे नहीं है. सैलजा ने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. जबकि वह हाल ही में लोकसभा के लिए चुनी गई हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं चुनाव लड़ने की बात कहना यह संकेत देता है कि वह भी सीएम पद के लिए दावेदारी ठोक रही हैं.
सत्ता विरोधी लहर का फायदा
हरियाणा में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 फीसदी के करीब वोट हासिल किए थे. 4 सीटें जीती और 90 विधानसभी सीटों में 40 से अधिक पर लीड मिली. कहीं ना कहीं कांग्रेस को आस है कि सताविरोधी लहर भी उसके पक्ष में है. साथ ही जाट वोट अब इनेलो और जेजेपी से छिटकर उसकी तरफ आए हैं. इसके अलावा, किसान आंदोलन, अग्निवीर सहित अन्य मुद्दे भी कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर सकते हैं.
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