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Haryana Chunav 2024: किसान आंदोलन, जाट पॉलिटिक्स और कांग्रेस की ओर झुकाव, BJP के सामने क्या चुनौतियां? Latest Haryana News

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चंडीगढ़. हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने शुक्रवार को हरियाणा की 90 सीटों पर चुनाव का ऐलान किया और बताया कि 1 अक्तूबर को यहां पर विधानसभा चुनाव होंगे. समय से पहले ही हरियाणा में चुनाव हो रहे हैं. वैसे हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नंवबर तक था. ऐसे में अब भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, जेजेपी और आम आदमी पार्टी ने रैलियों का ऐलान कर दिया है. 10 साल से सत्ता में रही भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह चुनाव है. इन्हीं चुनौतियों की वजह से भाजपा ने कुछ महीने पहले ही हरियाणा में बड़े बदलाव किए.

पार्टी ने जहां मुख्यमंत्री पद पर बदलाव किया, वहीं, गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) से भी नाता तोड़ लिया. हालांकि, सवाल यह है कि यह कवायद क्या राज्य में पार्टी को लगातार तीसरा कार्यकाल दिला पाएगी? ऐसे में हरियाणा में सभी मुख्य दलों की प्रमुख ताकत, कमजोरियों, अवसरों और चुनौतियों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. हरियाणा में इस बार विधानसभा चुनावों में सभी पार्टियों के सामने चुनौतियां हैं.

भाजपा की ताकत और परेशानी

हरियाणा में 10 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा के पास बूथ स्तर तक मजबूत संगठनात्मक ढांचा है. पार्टी ने इन चुनावों की तैयारी काफी पहले से शुरू कर दी थी. सत्ता में होने की वजह से भी पार्टी को लाभ मिलेगा. हालांकि, दो बार से सरकार चला रही भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है. पार्टी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उनके पूर्ववर्ती मनोहर लाल खट्टर (जो अब केंद्रीय मंत्री हैं) की “स्वच्छ छवि” का लाभ उठाने की कोशिश करेगी और साथ ही अपनी सरकार के “पारदर्शी प्रशासन” के बारे में लोगों को बताएगा. वहीं, चुनौती के तौर पर भाजपा के सामने फिर से उभरती कांग्रेस है. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था और 10 में से पांच सीटें जीती हैं. उसका वोट शेयर भी बढ़ा था. भाजपा को किसान आंदोलन के कारण भी परेशानी होगी. साथ ही हरियाणा में अग्निवीर भी बड़ा मुद्दा है. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजा को का वोट शेयर 12 प्रतिशत की गिर गया था और 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 44 में ही भाजपा को लीड मिली थी. इसके अलावा, 42 सीटों पर कांग्रेस और 4 में आम आदमी पार्टी (आप) आगे रही.

कांग्रेस को गुटबाजी परेशान करेगी

दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला व्यक्तिगत रूप से मतदाताओं के व्यापक वर्ग को प्रभावित करते हैं. हालांकि, हुड्डा और सैलजा के नेतृत्व में अलग-अलग धड़े हैं और इनमें लगातार तकरार देखने को मिलती है. हाल ही में तीनों अलग अलग पदयात्राएं भी निकाल रहे हैं और इस कारण गुटबाजी साफ नजर आ रही है. कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर को भुना सकती है. लेकिन उसके सामने इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) और जजपा जैसी पार्टियां हैं, जो कि जाट वोटों का बंटवारा कर सकती है और उससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.  कांग्रेस इस बात से खुश है कि वह दस साल से सत्ता से बाहर है और इस कारण उसे लोग वोट देंगे. अहम बात यह भी है कि अगर अपनी गुटबाजी से निपट गई तो उसे चुनाव जीतने में आसानी होगी.

इनेलो और जेजेपी की क्या स्थिति है

हरियाणा में बीते साढ़े चार साल तक सरकार का हिस्सा रही जजपा राज्य के ग्रामीण इलाकों में प्रभाव रखती है और देवीलाल की विरासत पर दावा करती है. भाजपा से नाता टूटने के बाद जजपा के लिए आगे के हालात कठिन होंगे. उसके विधायक ही उससे नाराज हैं. एक विधायक ने तो शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया था. अहम बात है कि जजपा नेता दुष्यंत चौटाला जाट समुदाय का एक प्रमुख चेहरा हैं, जो युवा मतदाताओं को लुभाने में सक्षम हैं. वहीं, पार्टी के कुछ नेता पाला बदलकर कांग्रेस या भाजपा में जा सकते हैं.

इसी तरह, पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में इनेलो का ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत वोट आधार है और हाल ही में बसपा के साथ गठबंधन के बाद इसमें और मजबूती आई है, हालांकि, लंबे समय से इनेलो सत्ता से बाहर है. अतीत में इसे कई चुनावी पराजय का सामना करना पड़ा है. हाल के दिनों में पार्टी के शीर्ष नेता कांग्रेस या भाजपा में शामिल हो गए हैं. उधर, इनेलो उन लोगों को लुभाने का काम करेगी जो भाजपा और कांग्रेस का विकल्प तलाश रहे हैं.

इस बार चुनाव में उतरी आप

दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी इस बार हरियाणा में सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब के कामों को गिना रही है. लेकिन हरियाणा में पहले भी प्रयास किया है और चुनावी सफलता नहीं मिली. संगठन के तौर पर आप यहां पर कमजोर है और कोई चेहरा भी उसके पास नहीं है, जो अलग अलग बिरादरी में वोटरों को अपने दम पर लुभा सकता है. हालांकि, पार्टी खुद को भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के रूप में पेश कर रही है. पार्टी के मुख्य नेता अरविंद केजरीवाल जेल में ऐसे में यहां पर वह रेलियां नहीं कर पाएं और ऐसे में आप को नुकसान होगा. केजरीवाल मूल रूप से हरियाणा से हैं. आप के लिए हरियाणा में बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ना एक कठिन काम होगा.

Tags: Bhupinder singh hooda, Government of Haryana, Haryana BJP, Haryana Congress, Haryana education, Haryana Election, Haryana election 2024, Manohar Lal Khattar

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