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Haryana Assembly Election: 44 लाख बीपीएल परिवारों के सहारे हैट्रिक की तैयारी में भाजपा, सीधे जुड़ने की कोशिश Chandigarh News Updates

Haryana Assembly Election: 44 लाख बीपीएल परिवारों के सहारे हैट्रिक की तैयारी में भाजपा, सीधे जुड़ने की कोशिश Chandigarh News Updates

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किसी भी चुनाव में जीत का कोई एक कारण नहीं होता, मगर एक योजना या वजह जीत दिलाने की दिशा में काम कर सकती है। कुछ इसी तर्ज पर भाजपा राज्य में तीसरी बार कमल खिलाने की कोशिश में जुट गई है। अगले 42 दिन भाजपा का फोकस गरीबी रेखा से नीचे वाले सालाना एक लाख 80 हजार आय वर्ग पर रहने वाला है। 

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भाजपा पिछले कुछ साल से इस वर्ग को लेकर काम कर रही है। इस विशेष वर्ग को केंद्र में रखते हुए पहले मनोहर और फिर सैनी सरकार ने कई लुभावनी घोषणाएं की हैं। इनमें आवास, मुफ्त परिवहन, मुफ्त शिक्षा, मुफ्त इलाज से लेकर अन्य योजनाएं शामिल हैं। 

पार्टी का मानना है कि पिछले चुनाव में उसकी वापसी का एक कारण यही वर्ग था। इसलिए पार्टी की पूरी कोशिश है कि मतदान से पहले स्थानीय कार्यकर्ता इस विशेष वर्ग तक पहुंचें और उन्हें भाजपा के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित करें। पार्टी के पास हर परिवार का डाटा है।

हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना परिवार पहचान पत्र के मुताबिक में राज्य में 63 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। इसके मुताबिक दो करोड़ 86 लाख आबादी में से करीब 1 करोड़ 80 लाख लोग बीपीएल कार्ड धारक हैं। ये करीब 44.90 लाख परिवार हैं, जिनकी सालाना आय एक लाख 80 हजार से कम या बराबर है। इनमें मूलत: पिछड़ी और अनुसूचित जातियां ही शामिल हैं। परिवार पहचान पत्र में घोषित आय के सत्यापन के बाद ही बीपीएल कार्ड में सूचीबद्ध किया जाता है। एक तरह से ये 44 लाख 90 हजार परिवार विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी हैं। दरअसल ये आंकड़ा पहले इतना नहीं था। 

मनोहर लाल सरकार ने बीपीएल श्रेणी में शामिल करने के लिए परिवारों की सालाना आय सीमा एक लाख 20 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख 80 हजार रुपये कर दी थी। यह फैसला एक अप्रैल 2021 से लागू हुआ था। इस फैसले के बाद पार्टी इस आय वर्ग पर पूरी तरह से मेहरबान है। एक के बाद एक योजनाएं घोषित की गईं। 

इसी तरह से मनोहर लाल ने सामाजिक पेंशन लेने के लिए पेंशनधारकों की आय सीमा बढ़ा दी थी। पहले दो लाख आय वालों तक को ही वृद्धावस्था पेंशन मिलती थी, मगर मनोहर सरकार ने बुढ़ापा पेंशन की आय सीमा में एक लाख की वृद्धि करते हुए तीन लाख रुपये कर दी थी। इस फैसले से सीधे 18 लाख लाभार्थी बढ़ गए थे।

माइक्रोमैनेजमेंट में जुटा भाजपा थिंक टैंक

भाजपा के लिए हरियाणा का चुनाव काफी अहम है। भविष्य के चुनाव को देखते हुए वह हर हाल में इस रण को जीतना चाहती है। इसलिए पार्टी का थिंक टैंक माइक्रोमैनेजमेंट में जुटा है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि यदि इन योजनाओं के लाभार्थियों तक पार्टी सीधे पहुंच गई तो उसके लिए तीसरी बार सत्ता में पहुंचना आसान हो सकता है। इसलिए पार्टी का उन वर्ग पर खास फोकस है, जिसे राज्य सरकार के साथ केंद्र की योजनाओं का लाभ मिला है। पार्टी की लगातार बैठकों में भी यही संदेश दिया जाता रहा है कि लाभार्थियों से सीधे जुड़ना है और विपक्ष के नैरेटिव को तोड़ना है।

बीपीएल परिवारों के लिए लागू योजनाएं

प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त योजना : दो किलोवाट पैनल लगवाने में 60 हजार रुपये सब्सिडी केंद्र और 50 हजार रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना : 50 और 100 वर्ग गज के प्लॉट मिलेंगे।

मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना : शहर में फ्लैट या प्लॉट देने की योजना।

अंत्योदय परिवार परिवहन योजना : सरकारी बसों में प्रति वर्ष एक हजार किलोमीटर तक मुफ्त सफर की सुविधा।

चिरायु-आयुष्मान योजना : पांच लाख तक के मुफ्त इलाज की सुविधा।

दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय परिवार सुरक्षा योजना : परिवार के किसी भी सदस्य की अचानक मृत्यु या 70 फीसदी दिव्यांगता होने आर्थिक सहायता दी जाती है।

मुफ्त शिक्षा : बेटियों को स्नातक तक की मुफ्त शिक्षा दी जाती है।

हर घर-हर गृहिणी पोर्टल : 500 रुपये में रसोई गैस सिलिंडर मिलेंगे।

निरोगी हरियाणा योजना : निशुल्क स्वास्थ्य जांच।

मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना : बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थ यात्रा का लाभ।

योजनाओं का क्रियान्वयन तय करेगा मतदाताओं का रुख : डॉ. सुनील

रोहतक के बहु अकबरपुर गवर्नमेंट कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. सुनील कुमार कहते हैं कि जब किसी व्यक्ति के जीवन निर्वाह में आमूलचूल परिवर्तन आए तो मानकर चलना चाहिए कि विकास हुआ है। यदि इन योजनाओं से गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के जीवन में सकारात्मक असर पड़ा है तो संभव है कि इसका लाभ राजनीतिक दल को मिलेगा। भले ही लोगों का आयुष्मान कार्ड बना हो, लेकिन जब अस्पताल में डॉक्टर या बेड नहीं होंगे तो उस कार्ड का कोई फायदा नहीं। इसी तरह से मुफ्त शिक्षा तो कर दी है, लेकिन कॉलेज में प्रोफेसर ही नहीं होंगे तो उस योजना का लाभ के कोई मायने नहीं है। यह देखना होगा कि इन योजनाओं का लाभ कितने लोगों तक पहुंचा। सरकार योजनाएं तो बना देती है, मगर असल परीक्षा उसके क्रियान्वयन में होती है।

 

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