हरियाणा विधानसभा चुनाव
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बीते दो चुनावों से भाजपा के हरियाणा की सत्ता पर काबिज होने के पीछे बड़ा कारण दक्षिण हरियाणा और एनसीआर की विधानसभा सीटें रही हैं। 2019 के चुनाव में भाजपा ने दक्षिण हरियाणा व एनसीआर की 29 सीटों में से 17 पर जीत हासिल की थी। दो महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भी इलाके की तीनों सीटों पर भाजपा ने परचम लहराया, मगर इस बार जीत का अंतर काफी कम हो गया। तीनों सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कांग्रेस की चुनौती को गंभीरता से लिया और अब पार्टी का दक्षिण हरियाणा पर खास फोकस है। पार्टी पिछले चुनाव से भी बेहतर प्रदर्शन दोहराने की कोशिश में जुटी है। पार्टी इस बात को अच्छी तरह से समझती है कि दक्षिण हरियाणा व एनसीआर की विधानसभा सीटों पर प्रदर्शन अच्छा रहा तो उसके लिए हरियाणा में हैट्रिक की राह आसान हो सकती है।
भाजपा की पहली कोशिश जिताऊ उम्मीदवारों का चुनाव करना है। इसके लिए पार्टी ने पूरा होमवर्क करने के साथ संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से फीडबैक भी ले लिया है। दक्षिण हरियाणा व एनसीआर के एक मंत्री व कई विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है। पार्टी इन सभी के टिकट बदल सकती है। इनकी जगह पार्टी नए चेहरों पर दांव खेलेगी।
उधर, पार्टी इस बार केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत को नाराज करने के मूड में नहीं है। उनकी बेटी को टिकट मिलना लगभग तय माना जा रहा है। पिछली बार उन्होंने पूरा जोर लगा दिया था, मगर बेटी को टिकट नहीं दिलवा पाए थे। इस बार स्थितियां और राव इंद्रजीत के तेवर बदले हुए हैं। हालांकि वह कुछ अन्य सीटों पर भी समर्थकों के लिए टिकट मांग रहे हैं। वहीं, पार्टी ने किरण चौधरी को राज्यसभा भेज भिवानी की जाट बहुल्य विधानसभा सीटों को अपनी पाले में खींचने की कोशिश की है। पिछली बार तोशाम से किरण चौधरी खुद कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीती थीं। भाजपा इस बार उनकी बेटी व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को टिकट दे सकती है।
बाकी रही कसर पीएम मोदी पूरी करेंगे। पीएम मोदी दक्षिण हरियाणा व एनसीआर में तीन से अधिक रैलियां करेंगे। मध्य प्रदेश और राजस्थान की तर्ज पर पीएम मोदी दनादन रैलियां करने वाले हैं। इसके लिए संगठन ने रैली स्थल का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है।
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