हरियाणा की जेलों में बंद महिला कैदियों और उनके बच्चों के लिए राहत भरी खबर है। अब छोटे बच्चे 6 साल के बजाय 8 साल की उम्र तक अपनी मां के साथ जेल में रह सकेंगे। जेल विभाग के इस फैसले से उन बच्चों को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा, जिनका बाहर कोई सहारा नहीं है। इससे बच्चों के पालन-पोषण, मानसिक विकास और देखभाल में निरंतरता बनी रहेगी।
डीजी जेल आलोक राय ने बताया कि मां-बच्चे को अलग करने से दोनों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। कई मामलों में बच्चे या मां अवसाद (डिप्रेशन) में चले जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए यह मानवीय फैसला लिया गया है। अब मां और बच्चा साथ रहेंगे तो भावनात्मक सुरक्षा बनी रहेगी और बच्चों का समुचित विकास हो सकेगा।
राज्य की 17 जेलों में क्रैच
डीजी जेल के मुताबिक जेल विभाग इन बच्चों के लिए जेल परिसर में ही पढ़ाई, पौष्टिक भोजन, स्वास्थ्य जांच और खेलकूद की व्यवस्था कर रहा है। प्रदेश की 17 जेलों में बच्चों के लिए क्रैच बनाए गए हैं जहां उनके खेलने और सीखने का पूरा माहौल उपलब्ध है। बच्चों की उम्र के अनुसार खानपान और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाता है।